राजस्थान

एटीएम कार्ड बदल कर ठगी करने वाले अन्तर्राज्यीय गैंग का पर्दाफाश

जयपुर

बगरू थाना पुलिस ने एटीएम कार्ड बदल कर ठगी करनी वाली हरियाणा (मेवात) की अन्तर्राज्यीय गैंग का पर्दाफाश करते हुए गैंग के दो शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया गया है। जिनके पास से पुलिस ने 27 बैंकों के 103 एटीएम कार्ड,तीन स्वैप मशीन सहित 30 हजार रूपये की नकदी जब्त की है। जिन्होंने पुलिस की प्रारम्भिक पूछताछ में दिल्ली,हरियाणा और राजस्थान में दो दर्जन से अधिक वारदातों को अंजाम देना कबूला है। फिलहाल आरोपितों से और भी कई वारदाते खुलने की आंशका के चलते पूछताछ की जा रही है।

पुलिस उपायुक्त जयपुर(पश्चिम)ऋचा तोमर ने बताया कि बगरू थाना पुलिस ने एटीएम कार्ड बदल कर ठगी करनी वाली हरियाणा (मेवात) की अन्तर्राज्यीय गैंग के शातिर ठग साकिब उर्फ कालू (29)निवासी हथिन जिला पलवल हरियाणा और विक्रम उर्फ संदीप (32) निवासी दुजाना जिला झज्जर हरियाणा को गिरफ्तार किया गया है। यह गैंग वर्ष 2019 से अबतक दौ सौ से अधिक वारदातों को अंजाम दे चुकी है। जिसके एक करोड रूपये से उपर की राशि की ठगी है।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर (पश्चिम) रामसिंह ने बताया कि आरोपितों से पूछताछ में सामने आया कि वह चौपहिया वाहन से एटीएम बूथ पर पहुंचते है तथा इस बात की निगरानी करते है कि एटीएम बूथ से रूपये निकालने वाले व्यक्ति को एटीएम कार्ड से रूपये निकालना नहीं आता है। इसके पश्चात दो व्यक्ति ऐसे व्यक्ति के दायें बाये खडे हो जाते है तथा उस व्यक्ति को पैसे निकालने में मदद करने की बात कहते है। पैसा निकालने वाले की हां करने के पश्चात उस व्यक्ति के एटीएम कार्ड को एटीएम मशीन में डलवाते है तथा पिन नम्बर एंटर करने के लिए कहते है। आरोपित पिन नम्बर को उसी समय देख लेते है तथा उसी से बैलेंस कैश को चैक करवाते है और यह सुनिश्चित कर लेते है कि कितना रूपया एटीएम में है। इसके पश्चात एटीएम कार्ड को बाहर निकाल लेते है।

तत्पश्चात एटीएम मशीन का केशलेस ट्रान्जेक्टशन बटन को दबा देते है जिससे स्क्रीन पर एटीएम धारक को अपने मोबाइल नम्बर टाईप करने का ऑपशन आ जाता है। इस पर एटीएम धारक अपने मोबाइल नम्बर की बोर्ड पर टाईप करना शुरू करता है इसी दौरान जिस बैंक की एटीएम मशीन होती है उसी बैंक के किसी अन्य एटीएम कार्ड से वास्तविक कार्ड को बदल लेते है तथा बदले गये एटीएम कार्ड को पुनः एटीएम मशीन के अन्दर डाल देते है। इसके पश्चात तुरन्त वहां से अपनी गाडी से तीन चार किलोमीटर की दूरी के किसी भी एटीएम बुथ पर पहुंचकर उस एटीएम कार्ड की अधिकतम लिमिट राशी का विड्रोल कर लेते है। यह एक दिन की अधिकतम लिमिट होती हैं। जानकारी के अनुसार अलग—अलग बैंकों की एक दिन की विड्रोल लिमिट अलग अलग होती है उसकी भी यह लोग जानकारी रखते है। जैसे एसबीआई बैंक की अधिकतम लिमिट राशी 40 हजार रूपये होती है। यह जितना जल्दी हो उतना जल्दी विड्रोल करते है क्योंकि इन्हें एटीएम कार्ड ब्लॉक होने की खतरा होता है।

आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि जहां पर बैंलेस राशी 10 हजार रूपये से कम होती है उस खाता धारक के साथ यह कोई वारदात नहीं करते है। इस गैंग की वारदात की एक अनोखी विशेषता यह है कि यह अपने पास स्वैप मशीन रखते है। क्योंकि प्रत्येक बैंक की अधिकतम कैश विड्रोल लिमिट के साथ साथ प्रति दिन की शॉपिंग लिमिट राशी की अधिकतम लिमिट भी होती है। यह गैंग पहले अधिकतम कैश विड्रोल करती है और फिर स्वैप मशीन का उपयोग कर उससे कनेक्टेड अकांउट में अधिकतम शॉपिग राशी को ट्रांसफर करते है।इस प्रकार यह एटीएम कार्ड का दोहरा उपयोग करते है।

यह स्वैप मशीन पेटीएम,भारत स्वैप प्लेटफॉर्म से खरीदी गई है।इसकी खरीद के लिए खरीद करने वाले को अपने जीएसटी नम्बर, आधार कार्ड, पता व मोबाइल नम्बर उपलब्ध करवाने पडते है। आरोपितों के पास में इस तरह की तीन स्वैप मशीने मिली है जिनमें से एक पेटीएम, दो भारत स्वैप से सम्बन्धित है। आरोपित इन मशीनों को मेजर मेव निवासी गांव मंधापुरा बस स्टैण्ड सर्किल के पास पुलिस थाना फिरोजपुर जिला नूंह हरियाणा से किराये पर लिया है। मेजर मेव ही अपने स्तर पर किसी बैंक में खाता खुलवाकर इस स्वैप मशीन से कनेक्ट कर उक्त मशीन को किराये पर देता है तथा बदले में ट्रासफर्ड शॉपिंग राशी का 20 प्रतिशत हिस्सा खुद लेता है। वारदात करने के बाद आरोपित मेजर मेव के पास जाकर हिसाब कर मशीन वापिस लौटा देते है। मशीन को वापिस तभी लौटाते है जब वह बन्द हो गयी हो।

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