दिल्ली

राजनीतिक दलों की ओर से कैश ट्रांसफर करने को भ्रष्ट आचरण में शामिल करने की मांग खारिज

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने राजनीतिक दलों के कैश ट्रांसफर करने संबंधी वादा चुनाव घोषणापत्र में शामिल करने को भ्रष्ट आचरण में शामिल करने की मांग को खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंगलवार को याचिका खारिज करने का आदेश दिया।

दरअसल, कोर्ट ने 15 सितंबर 2021 को निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से पूछा था कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से झूठे वादे पर आपने क्या कार्रवाई की है। याचिका पराशर नारायण शर्मा और कैप्टन गुरविंदर सिह ने दायर किया था। याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव घोषणापत्र में मुफ्त चीजें देने या कैश ट्रांसफर को शामिल करना जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण में आता है। इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने भी दिशानिर्देश तैयार किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी आदर्श आचार संहिता को लेकर अपना फैसला दिया है।

याचिका में कहा गया था कि चुनावी घोषणापत्र में मुफ्त चीजें देना या सब्सिडी आधारित योजनाओं को शामिल करना संविधान का उल्लंघन है और ये राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों में शामिल नहीं किया गया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने न्याय योजना के तहत पांच करोड़ परिवारों को 72 हजार रुपये देने की घोषणा की थी। आंध्र प्रदेश में भी तेलुगुदेशम पार्टी ने हर साल गरीब परिवारों को दो लाख रुपये सालाना देने का वादा किया था। ऐसा करना वोट के लिए नोट देने के बराबर है, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण है।

याचिका में कहा गया था कि ऐसी घोषणाओं का हर देशभक्त भारतीय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर मुफ्त में देने और कैश ट्रांसफर करने का वादा चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने की अनुमति दी गई तो अधिकांश जनता श्रम के मूल्य और उसकी गरिमा को समझना बंद कर देंगे। इसका बुरा असर हमारी अर्थव्यवस्था, उद्योग और कृषि पर भी पड़ेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker