हरियाणा में खुलेंगे पांच सौ संस्कृति मॉडल स्कूल
स्कूलों में बुनियादी ढांचा व सौंदर्यीकरण के लिए बनेगी टॉस्क फोर्स
सभी स्कूलों में ड्यूल डेस्क का प्रबंध करने को अलग से टॉस्क फोर्स
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने प्रदेश के शिक्षा विभाग का रेशनेलाइजेशन करने का फैसला किया है। इसके चलते प्रदेश में संस्कृति मॉडल स्कूलों की संख्या को बढ़ाकर 500 करने का फैसला किया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए रेशनलाइजेशन होगा। साथ ही, यह भी तय किया है कि अब एक स्कूल में एक ही मुखिया होगा। बेशक, संबंधित स्कूल में यूनिट अलग-अलग ही क्यों ना हों।
दरअसल, पहली से बारहवीं तक के स्कूलों को शिक्षा विभाग तीन मानता है। इसी के तहत पहली से पांचवीं कक्षा तक के स्कूल में हेड टीचर मुखिया होता है तो छठी से आठवीं तक के स्कूलों को मिडल और इसके बाद की कक्षाओं के स्कूल को हाई/सीनियर सेकेंडरी स्कूल माना जाता है। इनमें हेडमास्टर और प्रिंसिपल भी अलग होते हैं। अब सरकार ने तय किया है कि जिस कक्षा तक का स्कूल है, उसके हिसाब से ही मुखिया नियुक्त होंगे। मसलन, पहली से पांचवीं तक का ही स्कूल है तो उसमें हेड टीचर होगा।
अगर पहली से बारहवीं तक का स्कूल एक ही बिल्डिंग में चल रहा है तो सभी कक्षाओं का कंट्रोल प्रिंसिपल के पास रहेगा। सरकार का मानना है कि इससे शिक्षकों की कमी पूरी होगी। फिलहाल सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के चालीस हजार के करीब पद खाली हैं। सरकार का यह भी तर्क है कि जितने पद सृजित हैं, उतने शिक्षकों की जरूरत नहीं है। वहीं दूसरी ओर, सरकार संस्कृति मॉडल स्कूलों की संख्या भी बढ़ाएगी।
वर्तमान में ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़ाकर 500 किया जा रहा है। अगले चरण में इनकी संख्या और भी बढ़ेगी। इन स्कूलों के प्रति विद्यार्थियों का रुझान बढ़ा है। संस्कृति मॉडल स्कूलों में एक लाख 80 हजार रुपये तक सालाना आय वाले परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। इससे अधिक आय वाले परिवारों के बच्चों को फीस देनी होगी। ऐसे विद्यार्थियों के लिए फीस 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक मासिक हे सकती है।
सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराने को सरकार ने दो टॉस्क फोर्स गठित करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में अभी भी 30 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में विद्यार्थी जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं। सभी स्कूलों में ड्य़ूल डेस्क का प्रबंध करने के लिए टॉस्क फोर्स बनेगी।