उत्तर प्रदेश

सर्पदंश के बाद पीड़ित को तुरंत पहुंचाएं अस्पताल

-पीड़ित को कोई मादक पदार्थ न खिलाएं, दर्द निवारक दवा भी न दें

-सांप को न तो पकड़ने की कोशिश करें और न ही उसको मारें

लखनऊ, 17 अगस्त। भारत में सांपों की 250 प्रजातियां हैं, जिनमें 50 सांप विषैले हैं और पांच मनुष्यों के लिए बहुत खतरनाक हैं। एसजीपीजीआईएमएस के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि सर्पदंश के बाद पीड़ित को प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत अस्पताल पहुंचाना चाहिए। सांप को न तो पकड़ने की कोशिश करें और न ही उसको मारें। मरीज को कोई भी दर्द निवारक दवा भी न दें। पीड़ित को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंचाएं।

सर्पदंश के बाद क्या करें

1. सर्पदंश के बाद घबरायें नहीं।

2. डॉक्टर को तुरंत फोन करें एवं अस्पताल ले जाने की तैयारी करें।

3. पीड़ित को जमीन पर आराम की अवस्था में लिटा दें।

4. सर्पदंश के घाव को पानी एवं साबुन से धोयें।

5. जहां सांप ने काटा है वहां किसी साफ कपड़े से ढंक दें।

6. रोगी अगर अंगुठी, घड़ी, चूड़ी इत्यादी पहने हो तो उसे निकाल दें।

7. कटे वाले भाग को स्थिर रखें एवं ज्यादा चलायें नहीं।

8. रोगी को तुरंत अस्पताल लेकर जाएं।

9. रोगी के सर्पदंश के प्रभाव से मुक्त होने के बाद प्लास्टिक सर्जन को

जरूर दिखाएं।

सर्पदंश के बाद क्या ना करें

सांप को पकड़ने की कोशिश न करें, मारने की भी कोशिश ना करें। मरा हुआ सांप भी खतरनाक होता है, उसे ना छुएं। सांप के कटे हुए सिर से भी दूर रहें क्योंकि वह भी डंस सकता है। डंसे हुए हिस्से के आगे या ऊपर कोई कपड़ा या रस्सी ना बांधें। सर्पदंश के घाव को चाकू से ना काटें। सर्पदंश के घाव को मुंह से ना चूसें। पीड़ित को मादक पदार्थ ना पिलायें। पीड़ित को दर्द निवारक दवा भी ना दें।

सांपों के बारे में जानकारी

इनका परिवार बहुत बड़ा होता है। यह सूर्य की किरणों से ऊर्जा लेते हैं एवं उसी गर्मी पर निर्भर रहते हैं। सांप की आंखों में पलक नहीं होती है। सांप के सूंघने की शक्ति उनके जबान में होती है।

कोबरा के डंसने के लक्षण

काटने की जगह घाव होना, त्वचा का रंग बदलना, सूजन आना, कंपकपी होना, उल्टी आना, मुंह से झाग निकलना, आंखों का धुंधलापन, पसीना आना, बेहोशी आना, एलर्जी होना, घाव के चारों ओर सूजन, जलन एवं लाल होना, दस्त, बुखार, पेट दर्द, सिर दर्द, नब्ज का तेज होना, थकान, प्यास लगना, मांसपेशी की कमजोरी, सांस लेने में कठिनाई, धुंधली दृष्टी।

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