मांगों के समर्थन में गरजे बैंककर्मी, कहा- सरकार कर्मचारियों का कर रही है उत्पीड़न
-देशव्यापी हड़ताल में बैंककर्मियों ने दूसरे दिन भी लिया भाग
भिवानी
बैंक कर्मियों ने अन्य जनसंगठनों के साथ दूसरे दिन मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल के दौरान यूको बैंक परिसर के बाहर धरना प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। इसमें एआईबीईए, एआईबीओए, बीईएफई के संयुक्त संगठन शामिल थे। इस धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता का. सत्यशील कौशिक, का. प्रदीप कुमार ने की।
बैंंक कर्मियों ने सरकार को बैंकों व सार्वजनिक क्षेत्रों का राष्ट्रीकरण बरकार रखने, पुरानी पेंशन बहाली, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू करने हेतु, एनपीए रिकवरी के कड़े कानून व्यवस्था लागू करने के लिए, बैंकों को मजबूत करना, जमा राशि पर ब्याज दर बढ़ाने की मांग की।
जिस प्रदर्शन का कारण सरकार द्वारा बार बार सावर्जनीक बैंकों का निजीकरण है सरकार सरकार एक-एक करके सभी सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण और अप्रत्यक्ष रूप से जनता का शोषण वाले सारे कार्य बड़ी जोर शोर से कर रही है। सरकार की अब नजर जनता द्वारा जमा की गई उनकी मेहनत की कमाई पर आ गई है पहले बैंकों का विलय के द्वारा शुरुआत की जिस से पहले बैंकों के संगठन को उसके सदस्यों को निकालकर कमजोर किया जाए और फिर अब बैंकों का निजीकरण करके बैंकों में जनता का जमा राशि पर नजर है। सरकार ने पहले तो बैंकों में जमा राशि को लोन के रूप में बड़े घरानों को वितरित कराकर फिर उनको बैलेंस शीट से माफ करा दिया और बैंकों को घाटे में आना शुरू हो गया जिससे जनता को यह लगे की बैंक सही रूप से कार्य नहीं कर रहे और बैंकों को दोषी दिखाकर बैंकों का निजीकरण करना जनता के समर्थन के साथ आसान हो जाएगा, पर अब जनता और कर्मचारी वर्ग भी जागरूक हो गया है। अब सरकार को अब उसके इस नापाक मनसा में कामयाब नहीं होने देंगे, जिसके लिए हमें चाहे अनिश्चितकालीन हड़ताल भी करनी पड़े वह भी करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार एक-एक करके सभी सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण और अप्रत्यक्ष रूप से जनता का पैसा लूटना शुरू कर रखा। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, हवाई परिवहन, रेल, बैंक, इंश्योरेंस, ऑयल एंड गैस, टेलीकॉम, खुदरा बाजार, कृषि विभाग, नहरी विभाग, खाद्य विभाग, रक्षा, न्यायालय आदि अन्य सबको पूंजीवाद के लिए तैयार किया है। यह सब विभाग की हर आदमी को जरूरत है। सरकार की अब नजर जनता द्वारा जमा की गई उनकी मेहनत की कमाई पर आ गई है। पहले बैंकों का विलय के द्वारा शुरुआत की जिस से पहले बैंकों के संगठन को उसके सदस्यों को निकालकर कमजोर किया जाए।