‘आप’ विधायक दुर्गेश पाठक का बड़ा आरोप, भाजपा शासित एमसीडी में 6 हजार करोड़ का टोल टैक्स घोटाला
नई दिल्ली, 09 अगस्त। आम आदमी पार्टी ने भाजपा शासित एमसीडी पर टोल टैक्स कंपनी से सांठकर कर करीब 6 हजार करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगाया है। इसको लेकर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राजेंद्र नगर से विधायक दुर्गेश पाठक ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए आरोप लगाया है।
पाठक ने कहा कि पिछले 17 सालों में भाजपा ने एमसीडी की सत्ता में इतनी खूबसूरती से भ्रष्टाचार किया है कि आज एमसीडी का दिवालिया निकल चुका है। दुर्गेश पाठक का आरोप है कि 2017 में भाजपा शासित एमसीडी ने टोल टैक्स इकट्ठा करने का ठेका एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर डिवलपर्स लिमिटेड नाम की कंपनी को दिया था। यह ठेका 1200 करोड़ प्रति वर्ष के अनुसार पांच सालों के लिए दिया गया था। कंपनी ने एक साल पैसा दिया, लेकिन उसके बाद कभी 10 प्रतिशत तो कभी 20 प्रतिशत पैसा दिया। आखिर में पैसा देना बंद कर दिया, लेकिन भाजपा शासित एमसीडी ने कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
पाठक ने आगे कहा कि भाजपा चाहती तो यह टेंडर रद्द कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इस पूरी गड़बड़ी के कारण एमसीडी को 921 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। 2021 में एक नया टेंडर जारी किया गया, जो शहाकर ग्लोबल लिमिटेड को तीन सालों के लिए दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि 2017 में जो ठेका 1200 करोड़ में दिया गया था, वही ठेका नई कंपनी को मात्र 786 करोड़ प्रति वर्ष के अनुसार दे दिया गया।
जैसे जैसे महंगाई बढ़ रही है उसी के हिसाब से तो ठेका पहले से ज्यादा पैसों का होना चाहिए था, लेकिन यहां तो उल्टा उसे और कम कर दिया गया। यही नहीं भाजपा ने कोरोना काल के नाम पर नई कंपनी को 83 करोड़ रुपये की छूट दे दी। इसी में भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार कर लिया गया है।
आगे पाठक ने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि नई कंपनी पुरानी कंपनियों का मालिक एक ही हैं। हैरानी की बात यह है कि नई कंपनी भी पूरा पैसा ना देकर लगभग 250 करोड़ रुपए ही दे रही है। 2017 से 2022 तक दिल्ली की जनता लगभग 1200 करोड़ का टोल टैक्स भरती आई है, जो एमसीडी के खाते में होने चाहिए थे, लेकिन सांठगांठ के चलते एमसीडी इन कंपनियों से पैसा वसूल नहीं रही है। इसमें लगभग छह हजार करोड़ का घपला किया जा चुका है।
आम आदमी पार्टी की मांग है कि इस घोटाले की जांच होनी चाहिए। दोनों कंपनियों के मालिक एक होने के बावजूद उन्हें ठेका कैसे दिया गया। इसकी भी जांच होनी चाहिए। यदि इसकी ईमानदारी से जांच की जाए तो भाजपा के बड़े-बड़े नेता जेल में नज़र आएंगे।