स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती राजकुमार शर्मा फाऊंडेशन द्वारा मनाई गई
राजकुमार शर्मा फाऊंडेशन के प्रधान प्रतिक राजकुमार शर्मा।
राई। देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती राजकुमार शर्मा फाऊंडेशन द्वारा कुंडली में कार्यालय पर मनाई गई। जिसमें संस्था के प्रधान प्रतिक राजकुमार शर्मा ने उनकी फोटो पर पुष्प अर्पित किए। प्रधान प्रतिक राजकुमार शर्मा ने कहा कि जल, जंगल और जमीन को लेकर आदिवासियों का संघर्ष सदियों पुराना है। ऐसे ही एक विद्रोह के जनक की पुण्यतिथि है। आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा का आज ही के दिन साल 1900 में रांची की जेल में निधन हो गया था। बिरसा मुंडा की उम्र भले ही छोटी थी, लेकिन कम उम्र में ही वे आदिवासियों के भगवान बन गए थे। शर्मा ने कहा कि 1895 में बिरसा ने अंग्रेजों द्वारा लागू की गई जमींदारी और राजस्व-व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई छेड़ी। ब्रिटिश लोगों ने आदिवासी कबीलों के सरदारों को महाजन का दर्जा दिया और लगान के नए नियम लागू किए। परिणाम आया कि धीरे-धीरे आदिवासी कर्ज के जाल में फंसने लगे। उनकी जमीन भी उनके हाथों से जाने लगी। दूसरी ओर, अंग्रेजों ने इंडियन फॉरेस्ट एक्ट पास कर जंगलों पर कब्जा कर लिया। खेती करने के तरीकों पर बंदिशें लगाई जाने लगीं। आदिवासियों का धैर्य जवाब देने लगा था। तभी उन्हें बिरसा मुंडा के रूप में अपना नायक मिला। 1895 तक बिरसा मुंडा आदिवासियों के बीच बड़ा नाम बन गए थे। लोग उन्हें धरती बाबा नाम से पुकारने लगे। बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को दमनकारी शक्तियों के खिलाफ संगठित किया। अंग्रेजों ने उन्हें रांची की जेल में कैद कर दिया। जहां उनको धीमा जहर दिया गया। इसके चलते 9 जून 1900 को वे शहीद हो गए। ऐसे तल्ख़ और निडर अंदाज Þ में ब्रिटिश हुकूमत को ललकारने वाले महान स्वातंर्त्यवीर की जयन्ती पर श्रद्धा के अनगिनत सुमन अर्पित करते है। इस मौके पर संस्था के संस्थापक राजकुमार शर्मा ने भी संबोधित किया।