बिहार

 सीडीपीओ रीमा ने किशोरियों के एनीमीया पर किया बेहतर कार्य

मोतिहारी,30 सितंबर। दो वर्ष पहले पोषण में निचले पायदान पर रहने वाला रक्सौल आज जिले में प्रथम है। ऐसा कदापि नहीं है कि पहले वहां पोषण की गतिविधियां नहीं होती थी या आंगनबाड़ी केंद्र अपना कार्य नहीं कर रही थी, फिर भी कुछ कमी थी जो आईसीडीएस की सुविधाओं को लोगों से कनेक्ट नहीं कर रही थी।

इस कमी को सीडीपीओ रीमा कुमारी ने पहचाना और पोषण की कुछ एसी बयार बहायी कि जिला अब आईसीडीएस की गतिविधियों में जिले में प्रथम है। इनके इस बेहतरी के लिए जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने इन्हें पुरस्कृत भी किया। इस साल चल रहे पोषण माह में भी यह प्रखंड सीडीपीओ रीमा कुमारी की अगुवाई में लोगों के पोषण अभियान को एक जनआंदोलन का रुप दिया।

बकौल रीमा कहती हैं कि जब मैंने दो वर्ष पहले यहां आयी तो मैंने जो सबसे बड़ी कमी देखी वह जनसंवाद की थी। इस कमी को पाटने के लिए मैंने पर्यवेक्षिका और सेविका के साथ बैठक की और अंत में कुछ बातें निकल कर आयी उसमें मौजूदा व्यवस्था में कुछ सुधार की आवश्यकता थी।रीमा कहती है कि प्रखंड में आंगनबाड़ी केंद्र थी, योजनाएं भी थे पर वह केंद्र आकर्षक नहीं थे, मैने अपना पदभार ग्रहण करते ही आंगनबाड़ियों को मॉडल करना प्रारंभ किया। उनकी दिवालों पर लिखे अल्फाबेट और कार्टून के चित्रों ने बच्चों के साथ अभिभावकों को आकर्षित किया। बच्चों को ड्रेस, किताबें ऑडियो, विडीयो माध्यम से पढ़ाई दी तो बच्चों का आना शुरु हो गया।

सेविकाओं की बात लोग मानने लगे। लोगों को अब पोषण के साथ शिक्षा भी मिलने लगी। पोषण वाटिका लोगों को मोहने लगी।रीमा बताती है कि पहले वहां स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस में उतनी तारतम्यता नहीं थी। अब वहां प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र पर एएनसी की जांच, अन्नप्राशन, गोदभराई, परिवार नियोजन के साधन, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना सहित कई लाभ मिलने लगे है।इससे लोगों का विश्वास आंगनबाड़ी केंद्रों की ओर बढ़ने लगा। एएनएम वहां आरोग्य दिवस के दिन अब शिशुओं का टीकाकरण करती हैं। कोविड के समय में आंगनबाड़ी केंद्र ने कोविड टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने में महती भूमिका निभायी है। गर्भवतियों को उनके घर पर राशन पहंचने लगा। रीमा कहती हैं मैंने अपने पोषण क्षेत्र में यह हर सेविका सहायिका को सुनिश्चित कराया हुआ है कि वह किशोरियों के एनीमिया पर ध्यान दे। उनके क्षेत्र की हरेक किशोरी को आयरन फॉलिक एसिड की गोली दी गयी है। आज की किशोरियां ही कल माता बनेंगी अगर वह एनीमिक नहीं होगी तो निश्चित ही मातृ मृत्यु दर में भी कमी आएगी। जिले का सबसे कम एनीमिक किशोरियां रक्सौल में है।

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