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सीओपी 27: भारत ने ‘हानि और क्षति निधि’ समझौते का किया स्वागत

नई दिल्ली, 20 नवंबर भारत ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 27) में जलवायु क्षतिपूर्ति कोष को मंजूरी का स्वागत करते हुए कहा कि दुनिया ने इसके लिए बहुत लंबा इंतजार किया है।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को शर्म अल-शेख में आयोजित सीओपी 27 के समापन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने शिखर सम्मेलन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि सीओपी में हानि और क्षति निधि की व्यवस्था सहित हानि और क्षति निधि व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समझौता किया गया है। मंत्री ने कहा कि दुनिया ने इसके लिए बहुत लंबे समय तक प्रतीक्षा की है। उन्होंने इस बारे में आम सहमति बनाने के लिए किए गये प्रयासों की भी सराहना की।

यादव ने एक सतत जीवन शैली और उपभोग के टिकाऊ पैटर्न में परिवर्तन का स्वागत करते हुए कहा कि हम सुरक्षा निर्णय में जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों में सतत जीवन शैलियों और खपत और उत्पादन के टिकाऊ पैटर्न की व्यवस्था को शामिल करने का भी स्वागत करते हैं।

उन्होंने कहा कि हम इस बारे में ध्यान दें कि हम कृषि और खाद्य सुरक्षा में जलवायु कार्रवाई के बारे में चार वर्ष काम करने का कार्यक्रम स्थापित कर रहे हैं। कृषि लाखों छोटे किसानों की आजीविका का मुख्य आधार है जो जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह से प्रभावित होगी। इसलिए हमें उन पर शमन जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए। वास्तव में भारत ने अपनी कृषि में बदलाव को अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) से बाहर रखा है। हम सिर्फ बदलाव पर काम करने का कार्यक्रम भी स्थापित कर रहे हैं।

यादव ने कहा कि अधिकांश विकासशील देशों के लिए केवल बदलाव की तुलना डीकार्बोनाइजेशन से नहीं, बल्कि निम्न-कार्बन विकास से की जा सकती है। विकासशील देशों को अपनी पसंद के ऊर्जा मिश्रण और एसडीजी को प्राप्त करने में स्वतंत्रता दिए जाने की आवश्यकता है। इसलिए विकसित देशों का जलवायु कार्रवाई में नेतृत्व प्रदान करना वैश्विक न्यायोचित परिवर्तन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है।

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