स्ट्रॉ चॉपर से खेत में मिलाए फसल अवशेष, बढ़ेगी पैदावार : डॉ रामप्रकाश
कानपुर, 17 अक्टूबर । फसल अवशेषों को खेत में जलाने से जीवाणु खत्म हो जाते हैं, जिसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ता है। ऐसे में किसान भाइयों को चाहिये कि स्टॉ चॉपर कृषि यंत्र के जरिये फसल अवशेष को खेत में ही मिला दें। इससे फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। पैदावार अधिक होने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। यह बातें सोमवार को वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामप्रकाश ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने सोमवार को जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक किया। केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रामप्रकाश ने कृषकों को बताया कि स्ट्रॉ चॉपर कृषि यंत्र से फसल अवशेषों को बारीक टुकड़ों में काटकर भूमि में मिला दिया जाता है। तत्पश्चात हैप्पी सीडर द्वारा सीधे गेहूं की बुवाई कर देते हैं। बताया कि फसल अवशेषों का मल्च के रूप में प्रयोग करके खर-पतवारों को भी कम किया जा सकता है। साथ ही साथ मृदा की सेहत में भी सुधार होता है। फसल अवशेष गर्मी के तापमान को भी कम करता है।
फसल अवशेष प्रबंधन के नोडल अधिकारी डॉ खलील खान किसानों को बताया कि मृदा में कार्बनिक पदार्थ ही एकमात्र स्रोत है। जिसके द्वारा मृदा से पौधों को विभिन्न पोषक तत्वों को उपलब्ध हो जाते हैं तथा कंबाइन द्वारा फसल कटाई करने पर अनाज की तुलना में 1.29 गुना अन्य फसल अवशेष होता है। यह मृदा में सड़कर कार्बनिक पदार्थ की वृद्धि करते हैं। फसल अवशेषों में लगभग सभी पोषक तत्व होते हैं लेकिन नाइट्रोजन 0.45 प्रतिशत होता है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने छात्र-छात्राओं को बताया कि फसल अवशेषों में आग लगाने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव, मृदा के भौतिक गुणों पर प्रभाव एवं पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है। इस दौरान उद्यान वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार सिंह, डॉ मिथिलेश वर्मा, डॉ निमिषा अवस्थी सहित लगभग 300 से अधिक जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसान उपस्थित रहे।