सीएसआईआर 47 किसान समूहों के माध्यम से 226 हेक्टेयर भूमि पर करा रहा फूलों की खेती
लखनऊ, 29 अक्टूबर। फ्लोरीकल्चर मिशन के अंतर्गत सीएसआईआर सात राज्यों में 47 किसान समूहों को विकसित कर चुका है। इसके तहत कुल 226 हेक्टेयर कृषि भूमि को मिशन के अंतर्गत फूलों की खेती की जाने लगी है। यही नहीं अरोमा मिशन के तहत जीर्ण पत्तों से आवश्यक तेल निकालने के लिए हल्दी की खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए विभिन्न स्थानों पर 22 जागरुकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये और 863 किसानों को प्रशिक्षित किया गया।
यह जानकारी सीएसआईआर- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के निदेशक प्रो. एसके बारिक ने दी। वे संस्थान के 69वां स्थापना दिवस पर संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट बता रहे थे। संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि इस वर्ष के दौरान संस्थान ने पादप विज्ञान से सम्बंधित कुल 122 परियोजनाओं पर अनुसंधान एवं विकास कार्य को आगे बढाया, जिनमे 20 नई परियोजनाए शुरू की गयी। मानव सिर की त्वचा पर डैंड्रफ को नियंत्रित करने के लिए एंटी-डैंड्रफ हर्बल हेयर ऑयल की एक तकनीक उद्योग को हस्तांतरित की गई। संस्थान द्वारा नौ नई प्रजातियों को खोजा गया। साथ ही भारत से पहली बार नए भौगोलिक रिकॉर्ड के रूप में 31 प्रजातियों को खोजा गया।
प्रो. एसके बारिक ने कहा कि गुलदाउदी क्राइसेन्थेमम मोरीफोलियम की ‘एनबीआरआई-स्वाधीन 75’ नामक एक नई उत्परिवर्ती ‘सजावटी’ प्रकार की, देर से खिलने वाली किस्म विकसित की गई है। भारत की स्वतंत्रता के प्लेटिनम जयंती समारोह वर्ष के दौरान आजादी का अमृत महोत्सव को चिह्नित करने के लिए इस किस्म को ‘एनबीआरआई-स्वाधीन 75’ नाम दिया गया है, जिसे 30 जनवरी को माननीय सीएसआईआर महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे द्वारा जारी किया गया।
इस अवसर पर अपने व्याख्यान में डॉ. एकलब्य शर्मा ने भारतीय उप-महाद्वीपों की पारिस्थितिक तंत्रों में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और उनके प्रभाव पर अपने विचार रखे। डॉ. शर्मा ने बताया कि भारत में चार जैव विविधता हॉटस्पॉट (हिमालय क्षेत्र, पश्चिमी घाट, इंडो-बर्मा क्षेत्र एवं सुन्दरबन) पाए जाते है जो विश्व में पायी जाने वाली कुल जैव विविधता में करीब नौ प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। इन हॉट स्पॉट क्षेत्रों सतत विकास लक्ष्यों के साथ संरक्षण बहुत जरुरी है। प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन, पर्यावरणीय क्षरण, अनियंत्रित और तेजी से शहरीकरण से जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति के क्षरण को हमें रोकना होगा, जिससे भविष्य में बाढ़, सूखा, अत्यधिक गर्मी जैसी पर्यावरणीय आपदाओं को कम कर पाये।
मुख्य अतिथि डॉ. एकलब्य शर्मा ने इस अवसर पर ‘पुष्पांगदन बायोडाइवर्सिटी एक्सेस एंड बेनेफिट शेयरिंग अवार्ड’ के विजेताओं की भी घोषणा की। यह पुरस्कार आदिवासी कल्याण हेतु किये गये विशिष्ट कार्य हेतु प्रदान किया जाता है| इस पुरस्कार के अंतर्गत कैश अवार्ड, सम्मान पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया जाता हैं। वर्ष 2021 के लिए केरल विश्वविद्यालय के अंतर्गत स्थापित स्टार्टअप के निदेशक डॉ. टी पी लिजनु, एवं डॉ. अंकिता मिश्र, महिला वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनबीआरआई को चुना गया।