राष्ट्रीय

डीसीडब्ल्यू ने तेजाब मामले में दिल्ली सरकार के डिविजनल कमिश्नर को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली, 04 अक्टूबर। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने दिल्ली सरकार के डिविजनल कमिश्नर को नोटिस जारी कर उस एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जो अपने अधिकार क्षेत्र में तेजाब बिक्री के प्रावधानों एवं नियमों को सुचारु रुप से लागू करने में विफल रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने ‘लक्ष्मी बनाम भारत संघ और अन्य’ के मामले में देश में तेजाब हमलों को रोकने के लिए तेजाब की बिक्री को विनियमित करने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

इस संबंध में दिल्ली सरकार ने एसिड की बिक्री को नियंत्रण करने के लिए एक आदेश पारित किया था, जिसमे क्षेत्र के सम्बन्धित उपजिलाधिकारी को नियमों के उल्लंघन पाए जाने पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार दिया था।

इसके उपरान्त भी यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजधानी में खुलेआम तेजाब की बिक्री जारी है। दिल्ली में पता लगाने के लिए आयोग द्वारा अगस्त 2022 में सभी जिलाधिकारियों को तेजाब बिक्री से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने हेतु नोटिस जारी किए गए थे। साथ ही एसडीएम द्वारा किए गए निरीक्षणों की संख्या, लगाए गए जुर्माने की संख्या के साथ जुर्माने की राशि के संबंध में भी जानकारी मांगी गई थी।

इसके अतिरिक्त, एकत्र की गई जुर्माने की राशि के उपयोग के संबंध में दिशा-निर्देश और इस संबंध में व्यय का विवरण भी मांगा गया था। दिल्ली के सभी जिलों से मिली जानकारी बेहद डराने वाली हैं।

संबंधित विभाग से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह देखने में आया है कि जिलों में एसिड बिक्री को नियंत्रण करने के लिए तय प्रावधानों के अनुसार निरीक्षण नहीं किए जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, वर्ष 2017 में शाहदरा और उत्तरी जिले में एसडीएम द्वारा आज तक कोई भी निरीक्षण नहीं किया गया है। नई दिल्ली जिले के अलावा, जहां 554 निरीक्षण किए गए थे, अधिकांश जिलों में निरीक्षण नहीं किए जा रहे हैं।

इसके अलावा जिलों में तेजाब की अनियमित बिक्री के खिलाफ शायद ही कोई दंडात्मक या वैधानिक कार्यवाही को अमल में लाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, पूर्वी, उत्तरी, नई दिल्ली, उत्तर पूर्वी और शाहदरा जिले के कई एसडीएम ने 2017 के बाद से अपने जिलों में अनियमित एसिड बिक्री पर एक भी जुर्माना नहीं लगाया है।

आयोग को प्राप्त सूचना के अनुसार पश्चिमी जिले में पिछले छह वर्षों में सबसे ज्यादा दंड राशि – 9,90,000 रुपये एकत्र की। इसके बाद दक्षिणी जिला था जिसने रु/- 8,15,000 और सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट जिसने रु0 7,85,000/-, उत्तर पश्चिम जिले ने पिछले 6 वर्षों में 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। स्पष्ट रूप से, यह राशि वास्तविक रुप से संज्ञान में आए अवैध रुप से एसिड बिक्री के मामलों के मुकाबले काफी कम है। दुर्भाग्य की बात यह भी है कि, वर्ष 2017 के बाद से एकत्र किए गए 36.5 लाख रुपये के जुर्माने की राशि का उपयोग एसिड अटैक पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए नहीं किया जा रहा है, जैसा कि अनिवार्य था।

आयोग ने डिविजनल कमिश्नर को यह बताया है कि राजधानी में खुलेआम तेजाब बिकता है और राजधानी में कई एसिड अटैक के मामले आए दिन संज्ञान में आते हैं। आयोग ने दिल्ली में एसिड की बिक्री के नियंत्रण के लिए उठाये गए कदमो के साथ साथ शाहदरा और उत्तर जिले के सम्बन्धित विभागाधिकारियों के खिलाफ पिछले 6 साल में एक भी निरीक्षण नहीं करने पर की गई कार्रवाई की जानकारी देने को भी कहा गया है।

इसके अलावा, पांच जिलों – पूर्वी दिल्ली, उत्तर दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर पूर्वी और शाहदरा जिलों के एसडीएम के खिलाफ 2017 के बाद से अनियमित एसिड बिक्री पर एक भी जुर्माना नहीं लगाने के लिए कार्रवाई की मांग की गई है। आयोग ने एसिड अटैक पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए जुर्माने के रूप में 2017 से एकत्र 36.5 लाख रुपये की राशि के उपयोग पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।

डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, “राजधानी में एसिड की बिक्री खुलेआम जारी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिले के सम्बन्धित अधिकारी एसिड की अनियंत्रित बिक्री की ठीक से जांच नहीं कर रहे हैं। हमने इस मामले में अभी तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है और मुझे उम्मीद है कि इस संबंध में जल्द ही सकारात्मक बदलाव किए जाएंगे।”

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