जींद : समागम में गोबिंद सिंह के त्याग और बलिदान को श्रद्धालुओं से कराया अवगत
जींद, 8 जनवरी। रेलवे जंक्शन स्थित सिंह सभा गुरुद्वारा में रविवार को कलगीधर पातशाह गुरू गोबिंद सिंह के प्रकाशोत्सव की खुशी में गुरमत समागम का आयोजन किया गया। समागम में विभिन्न समुदायों के लोगों ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक कर अपनी खुशी का इजहार किया। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के तौर पर समाजसेवी डा. कामिनी आशरी रही।
गुरूघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि गुरमत समागम में सबसे पहले प्रकाशोत्सव की खुशी में रखे गए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का भोग डाला गया। भाई संतोख सिंह व भाई जसवंत सिंह द्वारा गुरबाणी गायन किया गया। फिर गुरू का अटूट लंगर बरताया गया। भाई संतोख सिंह ने अपनी बाणी में बताया कि गुरु गोबिंद सिंह को त्याग और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। उनके जीवन का प्रथम दर्शन था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है। उन्होंने अपनी बाणी में कहा कि जो व्यक्ति दिन और रात परमात्मा का ध्यान करता है, उसके लिए मैं खुद को बलिदान करता हूं। समाजसेवा में हमेशा अपनी कमाई का दसवां भाग दान में दे दें।
समागम में भाई जसवंत सिंह ने संगत से आह्वान किया कि गुरू गोबिंद सिंह ने अपनी बाणी में स्पष्ट किया है कि शरीर को नुकसान पहुंचने वाले किसी भी प्रकार के नशे और तंबाकू आदि का सेवन न करें। किसी भी इंसान की चुगली-निंदा ना करे उससे बचें। इंसान से प्रेम करना ही, ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति है और किसी भी इंसान से ईष्र्या करने के बजाय अपने कार्यों पर ध्यान दें। गुरूघर प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि गुरू ने अपनी बाणी में कहा कि दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद इंसान की सदैव हृदय से मदद करें। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रधान जसबीर सिंह, अशोक छिब्बर, कमलजीत ग्रेवाल, जसपाल सिंह, आज्ञापाल सिंह, अमरीक सिंह, रतन सिंह, किरपाल सिंह, परमजीत सेठी, तिलक राज, प्रवीन आदि उपस्थित रहे।