फसल अवशेष प्रब्रंधन को लेकर जिला कृषि अधिकारियों ने बैठक कर किया मंथन
सोनीपत
जिले में खरीफ की फसलें लगभग खेतों में तैयार हो चुकी है। जिनका कटाई का समय चल रहा है। फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगाने के लिए कृषि विभाग हर संभव कदम उठा रहा है। विभाग के अधिकारियों ने किसानों को जागरूक करने व आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए चयनित येलो व रेड जोन के गांवों के लिए अलग से तैयारियों को शुरू किया है। उक्त गांवों में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को न सिर्फ आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाएंगे, बल्कि जागरूकता कैंप भी आयोजित होगे। इसके अतिरिक्त ब्लाक स्तर पर भी जागरूकता कैंप कृषि विभाग द्वारा आयोजित किए जाएंगे। ताकि आगजनी की घटनाओं में कमी लाई जा सके।
बता दें कि जिला सोनीपत यूपी व देश की राजधानी से सटा होने के चलते क्षेत्र की वायु गुणवता पर असर पड़ता है। राजधानी से सटा क्षेत्र औद्योगिक व कृषि योग्य है। जिसके चलते अक्तूबर व नवम्बर माह में वायु गुणवत्ता का स्तर क्षेत्र में खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। क्षेत्र में पराली या अन्य फसल अवशेष जलाने से भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगती है। जिसके कारण दिन भर सूर्य के दर्शन तक नहीं हो पाते है। प्रदूषण को लेकर दिल्ली की सरकार हरियाण व पंजाब के किसानों पर फसल अवशेष जलाने के कारण प्रदूषण फैलाने का आरोप मंडती है। गत वर्ष खरीफ से सीजन में जिले में फसल अवशेष जलाने के कई मामले सामने आए थे। जिसके बाद संबंधित किसानों पर कृषि विभाग द्वारा जुर्माना तक वसूला था। कृषि विभाग ने इस बार खरीफ सीजन में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को शून्य करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके तहत सबसे पहले जिले के उन गांवों को रेड व येलो जोन में बांटा है, जहां फसल अवशेष जलाने की घटनाएं अधिक सामने आती है। शनिवार हो हुई बैठक में कृषि विभाग के एसडीओ संदीप वर्मा, डा. राजेन्द्र प्रसाद, सहायक कृषि अभियंता डा. नवीन हुड्डा, कृषि विभाग के एसएमएस आईएंडटी अधिकारी देवेन्द्र कुहाड़ सहित खंड स्तरीय कृषि अधिकारी मौजूद थे।
किसानों को जागरूक करने के लिए स्कूल व कॉलेजों में आयोजित होगी प्रतियोगिताएं-
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग की तरफ से खंड व ग्रामीण स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजना किया जायेगा। स्कूल और कालेजों में कृषि विभाग की टीमें पहुंचकर फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए चित्रकला प्रतियोगिता, खेल गतिविधियां, प्रभात फेरी, नाटक मंथन आदि गतिविधियां भी आयोजित करेंगी। विद्यार्थियों को भी पर्यावरण संरक्षण और फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ बताए जाएंगे, ताकि विद्यार्थी घर जाकर अपने परिजनों को इस सबंध में जानकारी देकर आगाजनी की घटनाओं में कमी ला सके।
पशुओं का चारा बेहद मंहगा, पांच हजार एक के हिसाब से बेची जा रही पराली-
गांव जुआं निवासी सतीश, बिजेंद्र, कृष्ण, अजीत, प्रताप, जसबीर,अनुज व चिटाना निवासी विरेंद्र, राजेश, महेंद्र ने बताया कि इस बाद पशुओं को चारा बारिश के चलते काफी खराब हो गया। लोगों के पास पशुओं के चारे की बेहद कमी है। गत वर्ष पराली चार हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बेची थी। इस बार पराली खरीदने वाले पांच हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दे रहे है। जबकि फसल अभी कटी नहीं है। ऐसे में आगजनी की घटनाएं सामने नहीं आयेगी। किसान बेहद जागरूक हो चुका है। आगजनी करके वह फसल अवशेष व धरती की गुणवता को खत्म नहीं करना चाहता। औद्योगिक क्षेत्रों की वजह से क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है।
भूमि वैरिफिकेशन में जुटे जिला कृषि अधिकारी, 30 प्रतिशत कार्य पूरा-
जिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत भूमि सत्यापन प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरी करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लगे हुए है। ताकि जल्द से जल्द किसानों को आगामी किश्त प्राप्त हो सके। वहीं प्रदेश सरकार की तरफ से ईकेवाईसी के साथ-साथ अब भूमि की वैरिफिकेशन करवाने के दिशा-निर्देश विभाग को मिले है। जिले में अब तक करीब 30 प्रतिशत भूमि वैरिफिकेशन का काम पूरा किया जा चुका है। इसके लिए खंड स्तर पर टीमों का गठन किया गया है।
वर्जन
जिले में धान की कटाई का कार्य जोरो पर चल रहा है। जिले को आगजनी की घटनाओं को लेकर जोन में बांटा गया है। जिस पर अधिकारी नजर रखे हुए है। अधिकारियों के साथ बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए है। किसानों को जागरूक करने के लिए स्कूल, कॉलेजों में प्रतियोगिताओं को आयोजित किया जायेगा। साथ ही किसानों से अपील है कि फसल अवशेषों में आगजनी करने की बजाए फसल अवशेष प्रबंधन पर फोकस करे।
अनिल सहरावत, जिला कृषि अधिकारी।