राष्ट्रीय

दुर्गा उत्सव : महाअष्टमी पर कई पंडालों में पहली बार बांग्ला भाषा में हुआ मंत्रोच्चारण

कोलकाता, 3 अक्टूबर। पश्चिम बंगाल में मां दुर्गा की आराधना के बीच सोमवार को महाअष्टमी की शुरुआत पुष्पांजलि के साथ हुई और संध्या आरती के साथ ही नवमी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार कई पंडालों में पूजा के मंत्रों का उच्चारण संस्कृत के बजाए बांग्ला भाषा में किए गए।

सोमवार को दिनभर हल्की बारिश के बावजूद राजधानी कोलकाता समेत आसपास के क्षेत्रों में बने दुर्गा पूजा पंडालों को देखने वालों का तांता लगा रहा। हावड़ा के प्रसिद्ध रामकृष्ण मिशन के बेलूर मठ में भी परंपरा के अनुसार सुबह के समय कुमारी पूजन और शाम को संध्या आरती हुई।

इस साल पहली बार पश्चिम बंगाल के कुछ पंडालों में संस्कृत के बजाय बांग्ला में मंत्रोच्चार कर पुष्पांजलि अर्पित की गई है। मातृ भाषा को बढ़ावा देने की पहल के तहत बांग्ला मंत्रोच्चार के साथ पुष्पांजलि अर्पित करने वाले पूजा पंडालों में कालीघाट का 66 पल्ली, बेहाला क्लब, दमदम तरुण दल, उल्टाडांगा विधान संघ शामिल हैं। पुजारी काली प्रसन्न भट्टाचार्य, भाषाविद् पवित्र सरकार और संस्कृत विद्वान नृसिंह प्रसाद भादुड़ी ने मां दुर्गा अराधना के संस्कृत श्लोकों का बांग्ला अनुवाद किया। पुजारी काली प्रसन्ना पिछले 60 साल से भी अधिक समय से मां दुर्गा की आराधना का अनुष्ठान पारंपरिक और वैदिक तरीके से संपन्न कराते आ रहे हैं।

जमींदार परिवारों ने 108 दीपों को जलाकर की मां की आरती

सोमवार को प्रायः कोलकाता के शोभाबाजार राजबाड़ी, रानी रसमणी बाड़ी, हॉटखुला दत्तबाड़ी समेत राज्यभर के तमाम जमींदार घरानों में बुधवार की शाम मां दुर्गा की महाआरती 108 प्रदीपों को जलाकर की गई। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल में विशेष तौर पर उगने वाले कमल के 108 फूलों के जरिए मां की पुष्पांजलि दी गई है। इस महाआरती और पुष्पांजलि के बाद नवमी के जश्न की तैयारियां भी शुरू हो गई। केवल दो दिन बाद दशमी के दिन से दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू हो जाएगा। चूंकि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और हावड़ा, हुगली तथा उत्तर 24 परगना जिले गंगा नदी के दोनों तटों पर बसे हैं। विसर्जन से पहले सोमवार की महाआरती के समय गंगा नदी के किनारे स्थित कुछ दुर्गा पंडालों ने गंगा घाटों पर भी सैकड़ों दीप जलाये। इसे दौरान दीपावली की तरह का नजारा लग रहा था। कालीघाट, दक्षिणेश्वर और बीरभूम के तारापीठ में भी अष्टमी की महाआरती के दौरान इसी तरह से पुष्पांजलि और दीप जलाए गए हैं।

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