जिले में पहली बार लोक गाथा कारु खिरहर पर संजय वशिष्ट ने शोध कर पीएचडी किया
सहरसा,09 नवंबर। शहर के पंचवटी चौक निवासी संजय वशिष्ट द्वारा जिले में पहली बार लोक गाथा कारु खिरहर बाबा पर गहन शोध कर उन्होंने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है।उन्होंने बताया कि प्रस्तुत शोध प्रबंधक भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा स्नातकोत्तर मैथिली विभाग के वरिष्ठ मैथिली पर अध्यापक डॉक्टर कुलानंद झा के कृपा पूर्ण निर्देशन एवं कुुशल पर्यवेक्षक का परिणाम है।
उन्होंने बताया कि विषय निर्धारण से लेकर सामग्री संकलन प्रतिपादन विवेचन मूल्यांकन सभी में उनकी सहज कृपा भान और मार्ग निर्देशन कर भरपूर सहयोग मिला है।साथ ही इस शोध प्रबंधन निष्पादन में विभागाध्यक्ष संजय मिश्र,डॉ रंजीत कुमार सिंह,विभागीय शिक्षक डॉक्टर रामनरेश सिंह, डॉक्टर रमन कांत चौधरी, डॉक्टर नरेंद्र नाथ झा का भी भरपूर सहयोग मिलता रहा। उन्होंने कहा कि मैं सभी महानुभावों का सच्चे दिल से आभार व्यक्त कर नमन कर रहा हूं। ज्ञात हो कि संपूर्ण कोसी क्षेत्र ही नही नेपाल तक पशु आराध्य देवता के रूप में बाबा कारू खिरहर की श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है। जिले के महिषी प्रखंड स्थित मैना-महपुरा गांव में कोसी नदी के तट पर उनका भव्य मंदिर अवस्थित है ।जहां उनकी नित्य पूजा की जाती है लेकिन सप्ताह के 2 दिन दूर-दूर से लोग अपने मवेशी का दूध चढ़ाने आते हैं।
चैती एवं शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि को जिले सहित अन्य जिले सहित नेपाल से भी लोग इतनी मात्रा में दूध चढ़ाते हैं कि कोशी नदी का पानी भी दूध में तब्दील हो जाता है।बाबा के लिए लोगो मे मान्यता आज भी लोगों में श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। जिनके स्मरण मात्र से ही किसान के मवेशी ठीक हो जाते हैं। जिस कारण इनकी प्रसिद्धि प्राचीन एवं महिमामयी है।