उत्तर प्रदेश

बिकरु कांड : एसआईटी जांच में दोषी पाये गये पूर्व एडीएम वीपी वर्मा

– राज्यपाल की अनुशंसा के बाद हो सकती है बड़ी कार्रवाई

कानपुर, 15 जुलाई। देश के बहुचर्चित बिकरु कांड की चल रही जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ। एसआईटी (विशेष जांच दल) ने पाया कि तत्कालीन एडीएम वेद प्रकाश वर्मा ने बिकरु कांड के मुख्य आरोपित रहे विकास दुबे की लाइसेंस अवधि को बढ़ाया था। इसको लेकर एसआईटी ने सेवानिवृत्त एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई के राज्यपाल को पत्र लिखा है।

बिकरु कांड की जांच कर रही एसआईटी ने पाया कि विकास दुबे का निरस्त असलहा साल 2004 में बहाल किया गया था। तत्कालीन एडीएम वेद प्रकाश वर्मा ने 2005 से 2007 तक विकास दुबे के अलसहा के लाइसेंस की अवधि बढ़ा दी थी। इसमें सेवानिवृत्त लिपिक महावीर और शिवशंकर भी दोषी पाए गए गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, जब एसआईटी ने पूर्व एडीएम से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि यह हस्ताक्षर ही फर्जी है। इस फर्जीवाड़े में बाबू शैलेश त्रिवेदी के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है। हालांकि एसआईटी पूर्व एडीएम को दोषी मानकर चल रही है और सबूत भी एकत्र कर लिये हैं। इसके साथ ही पूर्व एडीएम के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यपाल को पत्र लिखकर राय मांगी गई है। राज्यपाल की अनुशंसा के बाद ही पूर्व एडीएम के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

एक नजर में बिकरु कांड

चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में दो जुलाई 2020 की रात्रि पुलिस की टीम ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर दबिश दी थी। इस दौरान गुर्गों के संग विकास दुबे ने पुलिस टीम पर अधाधुंध फायरिंग कर दी थी, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे और कई घायल हुए थे। हालांकि बाद में पुलिस मुठभेड़ में अलग अलग दिनों में सरगना विकास दुबे सहित छह बदमाश मारे गये थे।

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