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सेना में थिएटर कमांड से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा रणनीति बनाने की जरूरत: जनरल नरवणे

– सेना एकीकृत थिएटर कमांड विकसित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध

– एनएसएस और एनडीएस तैयार करने में चार साल से कोई प्रगति नहीं हो पाई

नई दिल्ली, 30 दिसंबर भारतीय सेना के पुनर्गठन के चल रहे प्रयासों के बीच पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि थिएटर कमांड बनाने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, राष्ट्रीय रक्षा रणनीति और उच्च रक्षा संगठन होना आवश्यक है, इसके बाद ही हम इसके बारे में सोच सकते हैं। देश के पहले सीडीएस दिवंगत जनरल बिपिन रावत की पहल पर शुरू किये एकीकृत थिएटर कमांड में सेना के पुनर्गठन पर विचार-विमर्श के बीच जनरल नरवणे का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

जनरल नरवणे सेना की महार रेजिमेंट और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित चतुर्थ जनरल केवी कृष्णा राव स्मारक व्याख्यान दे रहे थे। सेना के पुनर्गठन पर जनरल मनोज पांडे ने कहा कि इसके चार प्रमुख पहलू हैं, मानव संसाधन प्रबंधन, आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी का समावेश, पुनर्संतुलन और पुनर्गठन तथा संयुक्तता और बेहतर एकीकरण। उन्होंने कहा कि सेना का थिएटराइजेशन करना पुनर्गठन का अंत नहीं है बल्कि इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) और राष्ट्रीय रक्षा रणनीति (एनडीएस) का बनाया जाना जरूरी है। जब तक यह नहीं होता, तब तक एकीकृत थिएटर कमांड के बारे में बात करना सिर्फ घोड़ा गाड़ी के आगे घास डालने जैसा ही है।

उन्होंने कहा कि एनएसएस के साथ एक ऐसे उच्च रक्षा संगठन की भी आवश्यकता है, जो पूरे देश के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करे और उसमें सभी संबंधित मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व हो। जनरल नरवणे ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मलायन अभियान और सिंगापुर के पतन की पृष्ठभूमि में थिएटर कमांड के बारे में बात की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में एक शीर्ष स्तरीय रक्षा योजना समिति की स्थापना 2018 में की गई थी, जिसे एनएसएस और एनडीएस तैयार करना था लेकिन अब तक इस पर कोई प्रगति नहीं हो पाई है। जनरल नरवणे ने कहा कि तय की गई रणनीति के तहत अन्य कूटनीतिक और राजनीतिक विचार हो सकते हैं, जो थिएटर कमांडरों को दी गई कार्रवाई की स्वतंत्रता को सीमित कर देंगे।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि एनएसएस, एनडीएस और एक उच्च रक्षा संगठन के बाद ही हम थिएटर कमांड के बारे में सोचना शुरू कर सकते हैं। हम अपने दम पर यह नहीं कह सकते कि हम दो-मोर्चों पर युद्ध लड़ना चाहते हैं। क्या किसी ने ऐसा कहा है या यह हमारी अपनी सोच है?” भारतीय सेनाओं का पुनर्गठन करने के पीछे बहुत सारे विरासत संस्थानों को दूर करके उन्हें पुनर्गठित करने की मंशा है। उन्होंने कहा कि हम गैर-मुख्य कार्यों की आउटसोर्सिंग पर भी विचार कर रहे हैं। संयुक्तता और एकीकरण पर सेना प्रमुख ने कहा कि सेना एकीकृत थिएटर कमांड विकसित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और यही आगे बढ़ने का रास्ता है।

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