सोनीपत: संयम, शांति व बड़ों का आदर-सम्मान करते हुए आगे बढे़: राज्यपाल गणेशी लाल
सोनीपत, 25 सितंबर। उडीसा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि मानव जीवन में संयम जरूरी है। अपने जीवन सफल होने के लिए संयम, शांति और बड़ों को आदर-सम्मान करते हुए आगे बढेंगे तो शरीर को शक्तियां प्राप्त होंगी। रविवार को वे गांव वजीरपुर स्थित निजी शिक्षा संस्थान में जैन मुनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गच्छाधिपति गुरूदेव सेठ श्री प्रकाश चंद महाराज से आशीर्वाद लिया।
राज्यपाल ने कहा कि जैन दर्शन में संथारा या संलेखना मनुष्य के लिए साधना का अंतिम द्वार होता हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से शरीर को त्याग कर अपनी आत्मा को दिव्य ज्योति में विलीन कर देता हैं। शाायद इसे ही मोक्ष कहते हैं। सनातन धर्म में उसे समाधि कह देते हैं। विज्ञान के क्षेत्र में जैन साधुओं ने अनेक अविष्कार किए।
प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि जैन धर्म में क्षमा को बसे बड़ा धर्म माना गया हैं। क्षमा को सबसे बड़ा अस्त्र माना गया है। सबसे अधिक तनाव का कारण आपसी कटुता हैं। कटुता का त्याग कर क्षमा कर दें तो सारी समस्या समाप्त हो जाएगी। विचार और चेतना के मध्य सेतु है जीवन और जगत के बीच का संबंध है पर्यूषण पर्व, व्यक्ति के जैसे विचार होते हैं उसका व्यक्तित्व वैसा ही निर्मित हो जाता है। अपने विचारों को ऐसे बनाएं जिसमें सत्यम शिवम सुंदरम का वास हो। गौरी शंकर आचार्य, तपस्वी रत्न गुरूदेव सुन्दर मुनि महाराज, सुशील मुनि महाराज, संयति मुनि महाराज, गोहाना के विधायक जगबीर मलिक, एसडीएम आशीष कुमार, राज्यपाल के पुत्र मनीष, राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के पुत्र अश्वनी, रामकुमार जैन, सुरेश जैन, प्रतिभा जैन, गौतम पानीपत आदि उपस्थित रहेे।