अनाज भंडारण के लिए साइलो तकनीक का इस्तेमाल करेगा हैफेड: बनवारी लाल
किसान अपनी फसल की खुद करेंगे मार्किटिंग
मुख्यमंत्री को जल्द सौंपेंगे रिपोर्ट
चंडीगढ़, 13 जुलाई । हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि अनाज भंडारण और उसे खराब होने से बचाने के लिए विदेशों में चल रही अत्याधुनिक साइलो तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक का अध्ययन करने के लिए उनके नेतृत्व में हरियाणा सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल यूरोप के देश इटली और जर्मनी का दौरा करके आया है।
बनवारी लाल ने बुधवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि वहां से प्राप्त जानकारियों की अब एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके हरियाणा के मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी, ताकि यहां भी हैफेड में अनाज भंडारण के लिए अत्याधुनिक साइलो तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके।
इस दौरान उन्होंने बताया कि इस प्रतिनिधिमंडल में विधायक दीपक मंगला, हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत, मैनेजिंग डायरेक्टर ए.श्रीनिवास, उपसचिव शिवजीत भारती, महाप्रबंधक अरुण कुमार आहूजा शामिल थे। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिनिधिमंडल ने इटली और जर्मनी के कई शहरों में साइलो बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियों का दौरा किया। जहां अनाज को खराब होने से बचाने के लिए किस तरह साइलो में भंडारण किया जाता है, इस तकनीक को अच्छे से समझा। इसके साथ-साथ प्रतिनिधिमंडल ने उन किसानों से भी बातचीत की, जिनका अनाज खेत से सीधे साइलो में पहुंचता है। इससे किसानों को भी काफी सुविधाएं मिलती हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का ध्येय प्रदेश में भंडारण व्यवस्था को मजबूत करते हुए अनाज को खराब होने से बचाना है। भविष्य में इन अत्याधुनिक साइलो को हरियाणा में भी स्थापित किया जाएगा।
आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ें किसान
सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि इटली और जर्मनी में किसान आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। हमारे यहां भी किसानों को आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ना चाहिए। शुरुआत में इस खेती से पैदावार जरूर कम होती है लेकिन प्रदेश सरकार अलग-अलग योजनाओं के तहत किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।
भविष्य में यदि किसान आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ते हैं तो इस तरफ भी प्रदेश सरकार कोई नई योजना लेकर आ सकती है। इससे आमदनी के साथ-साथ लोगों को अच्छा स्वास्थ्य भी मिलेगा। सहकारिता मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की फूड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन ने भी भारत में खेती से संबंधित तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।