राष्ट्रीय

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला : कोर्ट में चली आधा घंटे बहस, अगली सुनवाई 11 जुलाई को

मुस्लिम पक्ष ने कहा चलने लायक नहीं वाद, हिन्दू पक्ष ने कहा जानबूझकर केस लटकाना चाह रहे

मुस्लिम पक्ष केस मेंटनेबल पर सुनवाई के बहाने केस को लटकाने का प्रयास कर रहा है : महेन्द्र प्रताप सिंह

मथुरा, 07 जुलाई । श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद मामले को लेकर गुरुवार दोपहर को जनपद के सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। विपक्ष में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के वाद चलने लायक न होने के तर्क पर अपनी आपत्ति अदालत में प्रस्तुत की। न्यायालय में 30 मिनट तक बहस होने के बाद मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई तय कर दी। वादी पक्ष के अधिवक्ता दलील का न्यायालय में जवाब दाखिल करेंगे।

गौरतलब हो कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है। कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए। 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था उसके तहत जमीन बिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है। श्रीकृष्ण जन्म भूमि के मालिकाना हक को लेकर दायर की गई पिटिशन में चार पक्ष हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट, शाही ईदगाह मस्जिद और सुन्नी बोर्ड शामिल है।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में गुरुवार को अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह के वाद पर सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह की अदालत में सुनवाई हुई। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह ने अदालत को बताया कि मुस्लिम पक्ष केस मेंटनेबल पर सुनवाई के बहाने केस को लटकाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने पूर्व में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व अन्य द्वारा दायक एक वाद का हवाला भी अदालत में दिया जिसमें जिला जज की अदालत ने रंजना अग्निहोत्री का रिजीवन स्वीकार करते हुए कहा था कि प्लेसेस ऑफ वर्शशिप एक्ट और लिमिटेशन एक्ट लागू नहीं होता है। साथ ही भक्त को भगवान की प्रॉपर्टी के लिए दावा दायर करने का अधिकार है। फिर भी बार बार मुस्लिम पक्ष यही दलील दे रहा है कि ये वाद चलने लायक नहीं है।

याची महेन्द्र प्रताप सिंह ने राजस्व अभिलेख और अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के दावे के रिवीजन में जिला अदालत के आदेश की कॉपी सिविल कोर्ट और प्रतिवादी शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दे दी। याची ने कहा कि जल्द से जल्द विवादित स्थल की वास्तविक स्थिति जानने के लिए वहां कोर्ट कमीशन भेजकर रिपोर्ट मंगवाई जाए। सभी दस्तावेज हमारे पक्ष में है श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट जमीन का असली मालिक है, भगवान श्रीकृष्ण के मूलगर्भ गृह को तोड़कर औरंगजेब द्वारा अवैध रुप से यहां पर ईदगाह का निर्माण कराया गया था। मुस्लिम के पक्ष के पास कोई भी दस्तावेज नहीं है। मुगलकाल से लेकर अब तक के सभी दस्तावेज यह साबित करते है कि यह जमीन हिन्दू पक्ष की है।

महेंद्र प्रताप सिंह अधिवक्ता ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई दोपहर बाद हुई थी, विपक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ताओं ने न्यायालय में अपनी दलील पेश की। खसरा-खतौनी, नगर निगम के दस्तावेज न्यायालय में दाखिल किए हैं। सुनवाई की अगली तिथि 11 जुलाई को उन सभी दस्तावेजों के जवाब हमारी तरफ से दाखिल किए जाएंगे।

शाही ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने कहा कि हम 7 रूल 11 के प्रार्थना पत्र पर बहस करना चाहते हैं। अदालत में कहा कि जो दस्तावेज आज हमने मांगे थे, उनकी कॉपी वादी पक्ष ने काफी देरी से दी है। उन्होंने अदालत से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा। अदालत ने 11 जुलाई की तारीख अगली सुनवाई के लिए तय की है।

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