राष्ट्रीय

भारत में स्वास्थ्य और अध्यात्म एक दूसरे से जुड़े हैं: प्रधानमंत्री मोदी

फरीदाबाद/नई दिल्ली, 24 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां स्वास्थ्य देखभाल और आध्यात्मिकता निकटता से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि गुलामी के कठिन दौर में भी भारत ने अपनी आध्यात्मिक और सेवा विरासत को कभी भी गुमनामी में नहीं जाने दिया।

प्रधानमंत्री मोदी आज हरियाणा के फरीदाबाद में अत्याधुनिक तकनीक से लैस 2,600 बिस्तरों वाले सुपर-स्पेशियलिटी अमृता अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, श्री माता अमृतानंदमयी भी उपस्थित थीं।

प्रधानमंत्री ने देश की सेवा और चिकित्सा की महान परंपरा पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहां इलाज एक सेवा है और आरोग्य एक दान है। आरोग्य और आध्यात्म दोनों एक दूसरे से जुड़े हुये हैं। हमारे यहां आयुर्विज्ञान एक वेद है। हमने अपने चिकित्सा विज्ञान को भी आयुर्वेद का नाम दिया है। उन्होंने सभा को याद दिलाया कि सदियों से गुलामी के कठिन दौर में भी भारत ने अपनी आध्यात्मिक और सेवा विरासत को कभी भी गुमनामी में नहीं जाने दिया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि देश एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर रहा है और सामूहिक आकांक्षाएं और संकल्प आकार ले रहे हैं, यह उचित है कि देश को श्री माता अमृतानंदमयी के आशीर्वाद का अमृत मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल आधुनिकता और आध्यात्मिकता का मिश्रण है और जरूरतमंद मरीजों के लिए सुलभ और किफायती इलाज का माध्यम बनेगा। माता अमृतानंदमयी की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अम्मा प्रेम, करुणा, सेवा और त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। वह भारत की आध्यात्मिक परंपरा की वाहक हैं।

उन्होंने राष्ट्र के सौभाग्य का उल्लेख किया कि पूज्य अम्मा जैसे संतों के रूप में आध्यात्मिक ऊर्जा हमेशा देश के कोने-कोने में व्याप्त थी। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमारे धार्मिक और सामाजिक संस्थानों द्वारा शिक्षा और चिकित्सा से संबंधित जिम्मेदारियों को निभाने की यह व्यवस्था एक तरह से पुराने समय का पीपीपी मॉडल है। उन्होंने कहा, “इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप कहा जाता है, लेकिन मैं इसे ‘परस्पर प्रयास’ (आपसी प्रयास) के रूप में भी देखता हूं।”

कोरोना वैक्सीन पर भ्रम फैलाने को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत ने अपनी वैक्सीन बनाई थी, तो कुछ लोगों ने किस तरह का दुष्प्रचार करने की कोशिश की थी। इस दुष्प्रचार की वजह से समाज में कई तरह की अफवाहें फैलने लगी थीं। लेकिन जब समाज के धर्मगुरू, अध्यात्मिक गुरू एक साथ आए, उन्होंने लोगों को अफवाहों पर ध्यान ना देने को कहा, तो उसका तुरंत असर हुआ। भारत को उस तरह की वैक्सीन संदेह का सामना नहीं करना पड़ा, जैसा अन्य देशों में देखने को मिला।

लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अमृत काल के पांच प्रण का स्वप्न देश के सामने रखा है और इन पांच प्रण में से एक प्रण गुलामी की मानसिकता का पूर्ण त्याग है। उन्होंने टिप्पणी की कि इस समय देश में इसकी काफी चर्चा भी हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हम इस मानसिकता को छोड़ देते हैं, तो हमारे कार्यों की दिशा भी बदल जाती है।” उन्होंने आगे कहा, यह बदलाव देश की स्वास्थ्य प्रणाली में दिखाई दे रहा है क्योंकि देश के पारंपरिक ज्ञान में विश्वास बढ़ रहा है। योग की आज वैश्विक स्वीकृति है और विश्व अगले वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाएगा।

प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि आज हरियाणा देश के अग्रणी राज्यों में से एक है जहां हर घर को पाइप से पानी की सुविधा से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री ने हरियाणा के लोगों को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि फिटनेस और खेल जैसे विषय हरियाणा की संस्कृति में हैं।

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