सोशल मीडिया मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र से सात सितंबर तक रुख स्पष्ट करने को कहा
-वोकफ्लिक्स के ट्विटर अकाउंट को सस्पेंड करने के खिलाफ याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली, 17 अगस्त। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वो ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब अकाउंट बैन करने के मामले में कोई नियामक बनाने पर विचार कर सकती है। जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने केंद्र सरकार को 7 सितंबर तक अपना रुख स्पष्ट कर कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया।
हाई कोर्ट वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वोकफ्लिक्स के ट्विटर अकाउंट को सस्पेंड करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस मामले में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि ट्विटर किसी यूजर का अकाउंट सस्पेंड करने का फैसला तभी कर सकता है जब कि यूजर के पोस्ट के अधिकांश कंटेंट गैरकानूनी हों।
इस मामले में मेटा (फेसबुक) ने हलफनामा दायर कर कहा था कि वो सार्वजनिक कार्य नहीं करता, बल्कि एक निजी पक्षकार है और उस पर संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार लागू नहीं होता है। मेटा ने कहा था कि उसके यूजर्स और कंपनी के बीच उसकी सेवाओं को लेकर एक करार होता है जो कि एक निजी करार है। ये करार सेवा की शर्तों के तहत होते हैं। जैसे कोई यूजर साइन अप करता है तो उसके और कंपनी के बीच सेवा की शर्तों का करार होता है।