हिसार: अमेरिका व चीन से ज्यादा जल का उपयोग कर रहा भारत: डा. समुंद्र सिंह
वर्तमान में सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा हमारा देश
वर्ष 2030 तक 40 प्रतिशत भारतीयों को नहीं मिलेगा पीने का पानी
हरियाणा में एनसीआर के चार जिले कर रहे जल का बेहिसाब दोहन
हिसार, 31 मई । वर्तमान समय में हमारा देश सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा है। भूजल की कमी व जल प्रदूषण भारत के स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और खाद्य आपूर्ति के लिए गंभीर खतरा है। हमारा देश विश्व स्तर पर निकाले गए सभी भूजल का 25 प्रतिशत उपयोग करता है जो संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन से ज्यादा है। यह कहना है हिसार स्थित एचएयू से सेवानिवृत एवं सूक्ष्म सिंचाई कमान क्षेत्र विकास प्राधिकरण पंचकूला के निदेशक शश्यविज्ञानी डा. समुन्द्र सिंह का।
उन्होंने कहा कि आज कृषि में जल आपूर्ति का 70 प्रतिशत भूजल है और यह आने वाले वर्षों के लिए भारत की जल आपूर्ति की जीवन रेखा है। भारत के पास विश्व के नवीकरणीय जल संसाधन का केवल चार प्रतिशत जबकि जनसंख्या विश्व की 16 प्रतिशत है।ग्रामीण भारत में पीने के लिए 85 प्रतिशत भूजल उपयोग किया जाता है व नीति आयोग के अनुसार 2030 तक 40 प्रतिशत भारतीयों को पीने का पानी नहीं मिलेगा। भूजल से निकाले गए पानी का 89 प्रतिशत सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। 2007-2017 से भूजल स्तर में 61 फीसदी की गिरावट आई है। बढ़ते औद्योगिकरण व शहरीकरण के लिए अधिक जल की आवश्कयता होगी व कृषि पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
डा. समुन्द्र सिंह बताते हैं कि हरियाणा में पिछले 50 वर्षों में चावल का उत्पादन क्षेत्र 1.92 से बढ़कर 14.22 लाख हेक्टेयर हो गया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कम होने की बजाय धान का रकबा 2019-20 में बढ़कर 15.59 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो 2018-19 में 14.47 लाख हेक्टेयर था। 1966-67 और 2019-20 के बीच राज्य भर में धान के रकबे में 712 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि गेहूं के रकबे में 241 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह हरियाणा में वार्षिक पुनःपूर्ति योग्य भूजल संसाधन 9.31 बीसीएम (बीसीएम) है व वार्षिक भूजल दोहन 9.45 बीसीएम है।
वार्षिक भूजल निकासी उसके वार्षिक निकालने योग्य भूजल संसाधनों का 140 प्रतिशत है, जो देश में तीसरा सबसे अधिक है। हरियाणा के तो तिहाई क्षेत्र भूजल में खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं। भूजल के अत्यधिक दोहन में एनसीआर के चार जिले गुड़गांव (220 प्रतिशत), फरीदाबाद (125 प्रतिशत), पलवल (187) और महेंद्रगढ़ (106 प्रतिशत) शामिल हैं, जबकि शेष तीन जिले फतेहाबाद (167 प्रतिशत), कैथल (227 प्रतिशत) और सिरसा (197 प्रतिशत) हैं। कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, सिरसा व फतेहाबाद जिले में धान और कपास को अधिक पानी निकालने के लिए जिम्मेदार पाया गया है व खारा पानी भी एक बड़े खतरे के रूप में उभरा है। डा. समुन्द्र सिंह के अनुसार हरियाणा राज्य में केवल 10.15 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) भूजल है। ड्रिप और माइक्रो स्प्रिंकलर के अपनाने से पानी की बचत की जा सकती है।