कांग्रेस विधायक के स्थान पर अपने ही विधायक से सीट खाली कराएगी भाजपा
देहरादून
22 साल के उत्तराखंड में पहली बार तमाम वर्जनाएं टूटी हैं। मान्यता थी कि जो व्यक्ति मुख्यमंत्री आवास में रहता है, वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता। इसी प्रकार आधा दर्जन वर्जनाएं थीं कि एक बार इस दल की सरकार बनती है तो दूसरी बार दूसरे दल की, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में यह सब मिथक टूट गए हैं।
अब तक राजनीतिक परंपराओं के हिसाब से दल अपनी व्यवस्था के अनुसार मुख्यमंत्री बनाते रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इन सब मिथकों को तोड़ते हुए पुन: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सत्ता दी गई है। 2022 के चुनाव में 57 सीटों वाली भाजपा ने पांच सीटें कम मतों से हारी और 47 सीटें जीती जो इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं मातृ शक्ति और मोदी दोनों का प्रभाव उत्तराखंड की राजनीति पर दिख रहा है।
चुनाव हरने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर युवा संगठक पुष्कर सिंह धामी को नेतृत्व सौंपा है। छह माह के भीतर उन्हें पुन: चुनाव लड़ना है। अब तक उत्तराखंड में विपक्ष के विधायकों से सीट खाली करवाकर चुनाव लड़ने की व्यवस्था रही है। इसका प्रभाव प्रारंभ से ही रहा है। हालांकि इस बार चुनाव होते ही लगातार आधा दर्जन विधायकों ने पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने का आग्रह किया था। इनमें पहला नाम चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी का है जिन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट छोड़ने का आग्रह किया था।
राजनीतिक जानकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता हरवीर सिंह कुशवाह मानते हैं कि मुख्यमंत्री के लिए दूसरे दलों के विधायक से सीट खाली करवाने की परंपरा रही है लेकिन भाजपा के पास 47 विधायकों का बहुमत है, उसे सीट खाली करवाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए वैसे यह अनैतिक भी है। 2007 में जब भुवनचंद खंडूडी भाजपा को बहुमत में नहीं ला पाए तो तब उन्होंने धूमाकोट के विधायक टीपीएस रावत से सीट खाली करवाई। इसी प्रकार 2012 में विजय बहुगुणा ने तत्कालीन भाजपा विधायक किरन मंडल को विधायिकी से इस्तीफा दिलाकर चुनाव लड़ा।
वर्तमान संदर्भों में ऐसी आवश्यकता नहीं है, हालांकि इस बार भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया जाए तो अजूबा नहीं होगा, लेकिन तमाम समीकरणों को देखते हुए यह माना जा सकता है कि भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत से ही चुनाव लड़ेंगे। इससे जहां भाजपा की 47 सीटें बनी रहेंगी वहीं चंपावत के वर्तमान विधायक कैलाश गहतोड़ी को समायोजित किया जा सकता है। अब तक भाजपा ने जैसे मिथकों को तोड़ा है उसी प्रकार इस मिथक को भी तोड़ेगी और कांग्रेसी विधायक से सीट खाली कराने की बजाय अपने ही विधायक के स्थान पर चुनाव लड़कर एक और मिथक तोड़ने का काम करेगी।