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 सद्भावना संसद के दूसरे चरण में धर्म गुरुओं ने दिया देश में शांति और एकता का सन्देश

नई दिल्ली, 25 सितंबर। धार्मिक नफरत समाप्त करने और भारतीयता एवं मानवता की वास्तविक भावना की जीत के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के तत्वावधान में दिल्ली स्थित मुख्यालय के मदनी हॉल में ’सद्भावना संसद’ का आयोजन किया गया। इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के विभिन्न स्थानों पर भी धर्म संसदों का आयोजन किया गया जिसमें सभी धर्मों के गुरुओं ने भाग लिया और संयुक्त रूप से राष्ट्रीय एकता और शांति का संदेश दिया।

नई दिल्ली में आयोजित धर्म संसद में हिंदू धर्मगुरु श्री बाबा सिद्धजी महाराज ने कहा कि भारत का समाज हिंदू और मुसलमान की व्यवस्थाओं के मेलजोल से बना है, इसलिए समाज तोड़ने की शिक्षा देने वाला असामाजिक तत्व है। ऐसे लोगों का हुक्का-पानी बंद कर देना चाहिए। उन्होंने संदेश दिया कि सभी भारतीयों के पूर्वज एक थे और सभी का सम्बंध इसी देश की मिट्टी से है।

अपने उद्घाटन भाषण में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि भारत बहुत ही खूबसूरत देश है। इसकी प्रतिष्ठा और महानता इस तथ्य में निहित है कि यहां सभी धर्मों के लोग सदियों से एक साथ रह रहे हैं। उनके घर और आंगन एक-दूसरे से मिले-जुले हैं। इसलिए इस देश में नफरत फैलाने वाले कभी कामयाब नहीं होंगे। श्री हरजोत सिंह जी महाराज ने कहा कि सभी धर्म गुरुओं को सत्य की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए क्योंकि आज बुराई और झूठ, धर्म के चोले में छिपे हुए हैं।

मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर के अध्यक्ष पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि मुझे गर्व है कि भारत मेरी मातृभूमि है और पैतृक भूमि भी, क्योंकि अबुल-बशर (प्रथम मानव) आदम के माध्यम से सत्य का संदेश सबसे पहले इसी भूमि पर आया था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि आज धर्म को ही आधार बनाकर कुछ लोग नफरत और सांप्रदायिकता पैदा कर रहे हैं। इसलिए यह समय की मांग है कि सच्चे धार्मिक लोग इन तथाकथित झूठे धार्मिक लोगों को बेनकाब करके उनके खिलाफ संयुक्त आवाज उठाएं।

इस अवसर पर जमीयत सद्भावना मंच के संयोजक मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी ने सद्भावना संसद का दस सूत्रीय संकल्प पत्र भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दावत-ए-इस्लाम विभाग के मौलाना मोहम्मद यासीन जहाजी किया।

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