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यूक्रेन से युद्ध के बीच भारत को रूस से मिलेगा तीसरा एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम

-पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपट सकता है यह एयर डिफेंस सिस्टम

-वायुसेना को एस-400 मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट अक्टूबर, 2023 तक मिलेगी

नई दिल्ली

यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस भारतीय वायु सेना को अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की तीसरी खेप अगले महीने देने जा रहा है। रूस ने यूक्रेन संघर्ष के बीच पिछले माह एस-400 की दूसरी खेप देकर भारतीय सैन्य शक्ति में इजाफा किया था। दिसंबर में रूस से मिला पहला मिसाइल डिफेन्स सिस्टम पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। भारत के रक्षा बेड़े में शामिल हो रहे इस रूसी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम से पूरी दुनिया खौफ खाती है।

चीन और पाकिस्तान के लिए बुरी खबर है क्योंकि अगले माह रूस से अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की तीसरी खेप भारत को मिलने वाली है। सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाले इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की भारत को आपूर्ति होने से चीन और पाकिस्तान की धड़कनें तेज होना लाजिमी है। भारतीय वायुसेना के 8 सदस्यों की एक टीम रूस में एस-400 का प्रशिक्षण ले चुकी है और भारत आकर अन्य कर्मियों के लिए एस-400 प्रणाली पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू कर दिया है। हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को रूस में बने इस ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की बहुत जरूरत थी।

भारत ने रूस के साथ पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर यानी 40 हजार करोड़ रुपये में सौदे किया था जिसे रूस और भारत के रक्षा मंत्रियों ने 06 दिसम्बर को अंतिम रूप दिया था। भारतीय वायुसेना को एस-400 ‘ट्रायम्फ’ मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट (फ्लाइट) अक्टूबर, 2023 तक मिलनी हैं। पिछले साल भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने जल्द से जल्द सभी यूनिट की आपूर्ति करने का भरोसा दिया था। इतना ही नहीं, पुतिन की यात्रा के दौरान ही एस-400 की पहली खेप दिसंबर, 2021 में भारत को मिली थी जिसे पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। यहां से यह एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपट सकता है।

इस बीच यूक्रेन से युद्ध शुरू हो जाने पर रूस से मिलने वाले एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की आपूर्ति पर संकट के बादल गहराने लगे थे लेकिन रूसी रक्षा मंत्रालय से भरोसा दिया गया कि भारत और रूस के रिश्ते पहले से ही ठीक हैं। आगे भी बेहतर रहेंगे, इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। यही वजह रही कि यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस ने भारत को पिछले माह अप्रैल में डिफेंस सिस्टम एस-400 की दूरी खेप आपूर्ति की और अब वायु सेना को अगले महीने रूस से तीसरा एस-400 स्क्वाड्रन हासिल होने वाला है।

यह मिसाइल सिस्टम एक साथ मल्टी टारगेट को निशाना बनाकर दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी को नष्ट कर सकते हैं। इस मिसाइल सिस्टम की दूरी करीब 400 किलोमीटर है। यानी अगर दुश्मन की मिसाइल किसी विमान या संस्थान पर हमले करने की कोशिश करेगी तो यह मिसाइल सिस्टम 400 किमी. दूर से ही नेस्तनाबूत करने में सक्षम है। यह एंटी-बैलिस्टक मिसाइल आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से हमला बोल सकती है। सतह से हवा में मार करने वाली यह रूसी मिसाइल प्रणाली 400 किमी. तक की दूरी और 30 किमी. तक की ऊंचाई पर लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम है।

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