संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के मिशन पर भारत भेजेगा 16 मेड-इन-इंडिया बख्तरबंद
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिए भारत से 16 मेड-इन-इंडिया बख्तरबंद भेजे जाएंगे। लेह-लद्दाख के ठंडे इलाकों और कच्छ के रेगिस्तान में व्यापक परीक्षण करने के बाद भारतीय सेना ने 45 कल्याणी एम4 एपीसी खरीदने का ऑर्डर दिया था। इनमें से भारत फोर्ज लिमिटेड ने 16 बख्तरबंद की आपूर्ति कर दी है, जिसका अधिकतम पेलोड 2.3 टन है और यह 8 लोगों को ले जा सकता है। आधुनिक तकनीक से लैस यह बख़्तरबंद 50 किलो आईईडी ब्लास्ट का सामना कर सकता है।
इस समय दुनिया भर में चल रहे 12 संयुक्त राष्ट्र मिशनों में से आठ में 5,300 भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया है। बांग्लादेश और नेपाल के बाद संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में तीसरे नंबर पर भारतीय सेना तैनात है। भारतीय सेना को पहली बार 1953-54 में कोरिया के संयुक्त राष्ट्र मिशन में तैनात किया गया था। इसके बाद से भारतीय सेना ने 71 संयुक्त राष्ट्र मिशनों में से 51 में योगदान दिया है और 159 भारतीय सैनिकों ने विभिन्न ऑपरेशन में अपने प्राणों की आहुति भी दी है। भारतीय सैनिक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के रूप में यमन, नामीबिया, मोजाम्बिक, अंगोला, इथियोपिया-इरिट्रिया से लेकर कंबोडिया, सोमालिया, रवांडा, लेबनान, कांगो और सूडान तक तैनात हैं।
चीन-भारत सीमा गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद के तहत 177.95 करोड़ रुपये (23.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का अनुबंध पुणे स्थित रक्षा फर्म भारत फोर्ज लिमिटेड से किया था। 45 कल्याणी एम4 एपीसी के लिए किये गए ऑर्डर में से 16 बख्तरबंद की आपूर्ति सोमवार को कर दी गई है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (यूएनपीकेओ) की तैनाती के लिए भेजा जायेगा। इसके अलावा भारतीय सेना को सौंपे जाने वाले अन्य 23 एपीसी भी यूएनपीकेओ में भेजे जाएंगे। यह उच्च गतिशीलता वाला बख़्तरबंद कार्मिक वाहक है, जिसे दक्षिण अफ्रीकी पैरामाउंट समूह ने बनाया है और भारत में भारत फोर्ज ने निर्मित किया है। इसका अधिकतम पेलोड 2.3 टन है और यह 8 लोगों को ले जा सकता है।
भारत फोर्ज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बाबा एन कल्याणी ने बताया कि सभी कवच के साथ इसका वजन लगभग 16 हजार किलोग्राम है। इसे कठिन खड़ी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए 4×4 प्रणाली के साथ गियरबॉक्स भी है। इसकी अधिकतम गति 140 किमी प्रति घंटा है और इसे एक बार में 800 किमी. तक ले जाया जा सकता है। यह एक तरफ 50 किलो आईईडी ब्लास्ट का सामना कर सकता है। आधुनिक तकनीक से लैस यह बख्तरबंद एक पैदल सेना पलटन यानी लगभग 20 से 50 कर्मियों को पूर्ण युद्धक गियर में ले जाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत में बने सामान को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के लिए भेजा जाना पूरे देश के लिए ‘गर्व की बात’ है।