राष्ट्रीय

कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाला भारतीय युद्धपोत ‘अजय’ सेवामुक्त

– देश को 32 साल तक सेवा देने के बाद जहाज से नौसेना पताका और डी-कमीशनिंग पेनेंट उतारा गया

– तत्कालीन यूएसएसआर में पोटी, जॉर्जिया में 24 जनवरी, 1990 को कमीशन किया गया था यह जहाज

नई दिल्ली, 20 सितम्बर। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले भारतीय युद्धपोत आईएनएस ‘अजय’ को 32 साल की शानदार सेवा के बाद सोमवार को सेवामुक्त कर दिया गया। सूर्यास्त के समय जहाज के राष्ट्रीय ध्वज, नौसेना के पताका और डी-कमीशनिंग पेनेंट को उतारा गया था, जो कमीशन की गई सेवा के अंत का प्रतीक था। अपनी सेवा के दौरान इस जहाज ने कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार और 2001 में ऑपरेशन पराक्रम सहित कई नौसैनिक अभियानों में भाग लिया।

आईएनएस अजय (पी-34) को 24 जनवरी, 1990 को तत्कालीन यूएसएसआर में पोटी, जॉर्जिया में कमीशन किया गया था। महाराष्ट्र नेवल एरिया के संचालन नियंत्रण के तहत 23वें पेट्रोल वेसल स्क्वाड्रन का हिस्सा था। जहाज ने 32 से अधिक वर्षों से सक्रिय नौसैनिक सेवा में अपनी शानदार यात्रा के दौरान कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार और भारत-पाकिस्तान गतिरोध के दौरान 2001-2002 में ऑपरेशन पराक्रम अपनी क्षमता साबित की थी। इसके अलावा भारतीय नौसेना के कई नौसैनिक अभियानों में भाग लिया। 2017 में उरी हमले के बाद जहाज को समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था।

राष्ट्र को 32 साल की शानदार सेवा देने के बाद 19 सितंबर को सूर्यास्त होते ही इस ‘समुद्री योद्धा’ को सेवा से मुक्त कर दिया गया।सेवामुक्त करने का पारंपरिक समारोह मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित किया गया। सूर्यास्त के समय अंतिम बार जहाज के राष्ट्रीय ध्वज, नौसेना के पताका और डी-कमीशनिंग पेनेंट को उतारा गया, जो कमीशन की गई सेवा के अंत का प्रतीक था। कमीशनिंग कमांडिंग ऑफिसर वाइस एडमिरल एजी थपलियाल (सेवानिवृत्त), विशिष्ट अतिथि थे। समारोह की अध्यक्षता पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेन्द्र बहादुर सिंह ने की।

कार्यक्रम में जहाज के कमीशनिंग क्रू, पूर्व कमांडिंग ऑफिसर, वर्तमान क्रू, उनके परिवार और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में कर्मियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में फ्लैग ऑफिसर, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं के 400 से अधिक कर्मी भी मौजूद रहे।

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