पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) सिस्टम लागू होने के बाद विरोध में सड़कों पर उतरे उद्योगपति
गन्नौर। बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में वीरवार की दोपहर बाद फैक्ट्री कर्मचारियों के उद्योगपति सड़कों पर उतर आए और उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र के गोल चक्कर पर नारेबाजी करने के साथ ही एचएसआईआईडीसी कार्यालय में पहुंचकर रोष प्रदर्शन किया। बीएमआई के प्रधान अमित गोयल के नेतृत्व में उद्योगपतियों ने चेताया कि अगर जल्द ही उद्यमियों को राहत नहीं मिलती है तो हालात ऐसे हो गए है कि वे फैक्ट्री बंद करने पर मजबूर हो जाएंगे और जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। अमित गोयल व अन्य उद्योगपतियों ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में 1 अक्टूबर से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कोयला जलाने (जहां गैस की उपलब्धता है)पर प्रतिबंध लगा दिया है। उद्योगों को पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) पूरी तरह से सप्लाई नहीं पहुंच पाएगी। उद्योगपतियों ने बताया कि बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में नामात्र फैक्ट्री में ही पीएनजी के कनेक्शन है। नए नियम के तहत जुर्माना व सजा का प्रावधान करने से हालात ऐसे हो गए है कि वह उद्योगपति नहीं बल्कि क्रिमिनल है। उद्योगपति सड़क पर उतर आया है। उनका कहना कि इसके अलावा बिजली के अघोषित कटों से भी इंडस्ट्री में हाहाकार मचा हुआ है। कंपनी में जरनेटर चलाने पर प्रतिबंध है। बड़ी इंडस्ट्रियल एरिया में बॉयलर से चलने वाली करीब 150 फैक्टरियां बंद कर दी गई है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) 1 अक्टूबर से लागू किया है। सर्दियों में लागू होने वाले ग्रेप सिस्टम को वायु प्रदूषण कम करने के लिए इस बार 15 दिन पहले यानी एक अक्टूबर से ही लागू कर दिया गया है।
अघोषित बिजली कटो ने उद्योगों के सामने संकट खड़ा कर दिया
बीएमआई के वीरेंद्र जैन, नरेंद्र नंदा, राजेंद्र सिंगला आदि का कहना है कि उनका कहना कि 24 घंटे काम करने वाले उद्योगों में बड़ा संकट खड़ा हो गया। बिजली कटौती में भी वे जेनरेटर चलाकर अपनी कंपनी के उत्पादन को जारी रखते थे। इससे पहले भी क्षेत्र में बिजली के अघोषित कटों से उद्यमियों की परेशानी दूर नही हुई कि ग्रेप लागू होने के बाद जेनरेटर का इस्तेमाल पर ब्रेक लग गया है। उन्होंने कहा कि बिजली गुल होने पर मशीन बंद होने के बाद दोबारा चालू करने से उत्पादन पर असर पड़ता है। बार- बार बिजली कट से उत्पादन प्रभावित होता है। अमित गोयल ने कहा कि अब फैक्ट्री मालिकों के सामने ऐसे हालात पैदा हो गए कि उन्हें फैक्ट्री चलाना बहुत मुशिकल काम हो गया है। फैक्ट्री मे काम कर मजदूरों के सामने भी भूखा मरने के हालात पैदा हो गए है। वे कब तक फैक्ट्री बंद होने के बाद उन्हें वेतन देंगे। फैक्ट्री संचालकों ने सरकार से मांग की कि पहले से ही उद्योगपति कोरोना काल के बाद पूरी तरह से प्रभावित होकर उभर नही पाए थे कि अब ग्रेप की गाइडलाइन से फैक्ट्री संचालकों के लिए पलायन को मजबूर कर दिया है।