जोशीमठ भू धंसाव : अब 26 जनवरी को होगा एनटीपीसी का घेराव, तालाबंदी
जोशीमठ, 14 जनवरी। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने विनाशकारी परियोजना को बन्द किए जाने की मांग को लेकर गणतंत्र दिवस पर एनटीपीसी का घेराव और तालाबंदी का फैसला किया है। 17 जनवरी से वार्ड वार धरना कार्यक्रम होगा।
संघर्ष समिति के संयोजक कामरेड अतुल सती ने धरना स्थल तहसील प्रांगण में समिति के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि अब पुख्ता प्रमाण भी मिल गया है कि जोशीमठ की इस भीषण त्रासदी और जोशीमठ की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की जिम्मेदार पूरी तरह से एनटीपीसी है। इस बर्बादी का जुर्माना भी एनटीपीसी से ही वसूला जाना चाहिए।
सती ने कहा कि संघर्ष समिति की एनटीपीसी की परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाइपास निर्माण बन्द करने की मांग तो है ही,अब विस्थापन की बात सामने आ रही है तो जोशीमठ का विस्थापन भी ठीक तरह से होना चाहिए, नई टिहरी की तर्ज पर नहीं।
उन्होंने कहा कि विस्थापन की प्रक्रिया से पूर्व यह भी तय कर लिया जाना चाहिए कि जोशीमठ के निवासियों की सेना, बीआरओ व अन्य विभागों ने जो भी भूमि कब्जाई है उस भूमि का भुगतान काश्तकारों को किया जाये। यहां के काश्तकार वर्षों से परिवार की आजीविका चलाने के लिए जिस भूमि पर काबिज हैं और सरकार की लापरवाही के कारण बंदोबस्त नहीं आ पाया। इसके कारण उक्त भूमि काबिज काश्तकारों के नाम करते हुए उन्हें भुगतान किया जाये।
समिति के संयोजक ने कहा कि जोशीमठ का मामला, अब धामी सरकार के हाथ से निकल गया है। केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द जोशीमठ त्रासदी की समस्या को अपने हाथ पर लेकर त्वरित कार्रवाई करनी होगी। उन्हाेंने कहा कि जिस तरह फोटो खिंचाकर हंसते हुए राहत चेक बांटे जा रहे थे, यह आपदा पीड़ितों के साथ भद्दा मजाक है, इसे सहन नहीं किया जाएगा। जोशीमठ के लोग मेहनती हैं। चट्टान तोड़ कर आशियाना बनाया है। उन्हें कंबल व राशन की भीख नहीं चाहिए। स्थानीय शिल्प के आधार पर विस्थापन की पुख्ता व्यवस्था हो।
संघर्ष समिति के संजय उनियाल के संचालन में हुई सभा को संघर्ष समिति के प्रवक्ता कमल रतूड़ी, कामरेड इंद्रेश मैखुरी, शुभम रावत, कामरेड भरत सिंह कुंवर, आचार्य नरेश आनंद नौटियाल सहित अनेक लोगों ने संबोधित किया।