उत्तर प्रदेश

उप्र: आयातित बाहरी वकीलों को हाईकोर्ट जज बनाना संविधान का उल्लंघन : ओझा

-चीफ जस्टिस भी न हो बाहरी : जादौन

-बार एसोसिएशन ने आयातित वकीलों को जज बनाने का किया विरोध

प्रयागराज, 17 सितम्बर। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बाहरी वकीलों को जज नियुक्त करने के कोलेजियम के प्रस्ताव के खिलाफ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध किया है और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आपत्ति की है।

इसी क्रम में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा व महासचिव ने वर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों की मौजूदगी में प्रेस वार्ता की। अध्यक्ष आर के ओझा ने कहा कि बार एसोसिएशन आयातित वकीलों को हाईकोर्ट जज बनाने के प्रयास का विरोध करती है और मांग करती है कि केवल लखनऊ पीठ सहित इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करने वाले वकीलों को ही हाईकोर्ट जज बनाया जाय।

उन्होंने विभिन्न न्यायाधिकरणों में सेवानिवृत्त प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति का भी विरोध किया और कहा कि इनमें चयन प्रक्रिया के तहत योग्य वकीलों की नियुक्ति की जाय। सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति से अधिकरण सफेद हांथी ही साबित हो रहे हैं। वे न्याय नहीं कर पा रहे हैं।

ओझा ने कहा कि प्रदेश सरकार एक उप्र राजस्व न्यायिक सेवा कैडर का गठन करे और प्रशासनिक अधिकारियों के बजाय चयन प्रक्रिया के तहत योग्य वकीलों की भर्ती कर नियुक्ति की जाय। प्रशासनिक अधिकारियों को कानूनी जानकारी न होने के कारण वादकारियों को न्याय के लिए भटकना पड़ता है। उन्हें न्याय नहीं मिल पाता। राजस्व न्यायालय के अधिकारी प्रशासनिक काम में ही व्यस्त रहते हैं। अदालतों में नहीं बैठते।

बाहरी वकीलों को हाईकोर्ट जज बनाने के मुद्दे पर ओझा ने कहा कि देश के सभी हाईकोर्टो के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव से चर्चा की जायेगी और प्रदेश के बार संगठनों से परामर्श कर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत केवल हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों की ही हाईकोर्ट जज नियुक्त करने का उल्लेख किया गया है। जिसके लिए राज्यपाल की सहमति भी ली जाती है। राज्य सरकार बाहरी वकीलों के बारे में कैसे परामर्श दे सकती है।

जब कोलेजियम के जजों ने बाहरी वकीलों की योग्यता देखी नहीं तो किसी के कहने पर नाम भेजना संविधान की मंशा के विपरीत है। उन्होंने कहा कि बाहरी वकीलों के स्थानीय कानून की जानकारी नहीं होती। न्यायालय की परम्परा व प्रक्रिया की भी जानकारी नहीं होती, जिससे वकीलों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

महासचिव एस डी सिंह जादौन ने कहा कि हाईकोर्ट के 17 हजार वकीलों में क्या योग्य अधिवक्ता नहीं है, जो आयातित करना पड़ रहा है। उन्होंने प्रदेश के बाहर का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की भी खिलाफत की और कहा कि हाईकोर्ट का ही जज चीफ जस्टिस होने से बार की समस्याओं का आसानी से हल निकाला जा सकता है। जादौन ने कहा कि जब 160 जजो के पद हैं तो सभी पदों को भरने के लिए नाम क्यों नहीं भेजे जाते। इस समय हाईकोर्ट में केवल 100 जज हैं। 60 पद खाली है और 16 नाम भेजें गए हैं। उसमें से भी चार नाम सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का है। जिनके बारे में हाईकोर्ट कोलेजियम को कोई जानकारी नहीं फिर भी जज बनने योग्य माना गया है। और हाईकोर्ट के योग्य वकीलों की अनदेखी की गई है।

प्रेस वार्ता बार एसोसिएशन के पुस्तकालय हाल में हुई। जिसमें पूर्व अध्यक्ष आई के चतुर्वेदी, पूर्व महासचिव ओ पी सिंह, अशोक कुमार सिंह, ए सी तिवारी, सी पी उपाध्याय, प्राणेश त्रिपाठी, आशुतोष त्रिपाठी, मनोज मिश्र, नीरज त्रिपाठी, प्रशांत सिंह, अरूण सिंह आदि मौजूद थे।

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