राष्ट्रीय

ममता ने खींच लिया था अणुव्रत के सर से हाथ, तभी साफ हुआ गिरफ्तारी का रास्ता

कोलकाता, 11 अगस्त। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित मवेशी तस्करी मामले में बीरभूम जिले के बाहुबली नेता अणुव्रत मंडल की गिरफ्तारी से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। ममता बनर्जी के इस बेहद खास नेता की सीबीआई के हाथों गिरफ्तारी के तुरंत बाद सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कर दिया कि इसमें पार्टी किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करेगी और ना ही अणुव्रत का बचाव करेगी। इसके बाद से एक सवाल राजनीतिक गलियारों में गूंजने लगा है कि क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही मंडल के सर से अपना हाथ खींच लिया था जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हुआ है?

दरअसल मंडल ममता बनर्जी के बेहद खास नेता रहे हैं। यही वजह है कि बीरभूम जिले में मीडिया के कैमरों के सामने उनके तमाम हिंसक गतिविधियों, बयानबाजी, गैरकानूनी कारोबार और पूरे देश में लाल बत्ती पर रोक के बावजूद मंडल की गाड़ी में करीब एक दशक से लगे होने के बावजूद प्रशासन ने उनके खिलाफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं की थी। सीबीआई और ईडी के अधिकारी भी कम से कम 10 बार उन्हें पूछताछ के लिए समन भेज चुके थे। एक बार वह पूछताछ के लिए हाजिर भी हुए। उनसे देर रात तक पूछताछ की गई लेकिन गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी।

हालांकि हाल में जो घटनाएं घटित हुई हैं उससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि ममता बनर्जी ने उनसे हाल फिलहाल में दूरी बना ली थी और पार्टी के नेताओं को भी उनसे दूरी बनाने को कह दिया गया था।

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री हैं ममता, मंडल को अस्पताल ने नहीं ली थी भर्ती

दरअसल कोलकाता का राजकीय एसएसकेएम अस्पताल अमूमन अपने इलाज के लिए कम और सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के भ्रष्ट नेताओं को केंद्रीय एजेंसियों से बचाने के लिए भर्ती लेने के मामले में अधिक सुर्खियों में रहता है। अणुव्रत मंडल भी कई बार यहां भर्ती होकर सीबीआई अथवा अन्य केंद्रीय एजेंसियों की पूछताछ से बचते रहे हैं। वह बीरभूम से सीधे कोलकाता आते थे और एसएसकेएम अस्पताल के वूडबर्न वार्ड में उनके लिए बेड तैयार रहता था। सोमवार को भी सीबीआई ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था और उसी तरह से वह बीरभूम से आए तथा सीधे एसएसकेएम के वूडबर्न वार्ड में चले गए लेकिन इस बार उन्हें भर्ती नहीं लिया गया। अस्पताल ने साफ कर दिया कि उनकी तबीयत ठीक है और घर जा सकते हैं।

खास बात यह है कि ममता बनर्जी राज्य की स्वास्थ्य मंत्री हैं और इस बार अस्पताल का यह बर्ताव राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बन गया था। उसके बाद सोमवार को मंडल अपने बीरभूम स्थित घर लौट गए थे और सीबीआई ने उन्हें दोबारा नोटिस भेजकर बुधवार को बुलावा भेजा था। इसके बाद मंगलवार को बोलपुर महकमा अस्पताल के डॉक्टर उनकी सेहत की जांच के लिए उनके घर गए थे ताकि इस तरह का माहौल बनाया जा सके कि वह काफी बीमार हैं। लेकिन वही डॉक्टर बाहर निकले और मीडिया के कैमरों के सामने साफ कर दिया कि प्रशासन के दबाव में वह मंडल की जांच करने आए थे उनकी सेहत बहुत अधिक खराब नहीं है और उन्हें सादा कागज पर बेड रेस्ट के बारे में लिख कर दिया गया है।

दावा किया जा रहा है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश के बगैर ये सारी चीजें मीडिया के सामने आना संभव नहीं ।

तृणमूल नेतृत्व ने बना ली थी दूरी

इसके अलावा जो राजनीतिक नेता अमूमन अणुव्रत के आसपास रोज ही जाते थे वे भी पिछले दो दिनों से उनसे दूरी बनाकर रह रहे थे। अमूमन होना यह चाहिए कि अगर वह बीमार थे तो उन्हें देखने के लिए और अधिक नेताओं को आना चाहिए था। राज्य के मंत्री चंद्रनाथ सिंह अणुव्रत के बेहद प्रिय मित्र हैं और अमूमन उनके साथ रहते थे लेकिन पिछले तीन दिनों से वह ना तो उनके घर गए ना ही उनसे फोन पर बात की है। इस वजह से अणुव्रत मंडल को इस बात का भी एहसास हो गया था कि पार्टी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनसे दूर हो चुकी हैं और अब उन्हें गिरफ्तारी से नहीं बचाया जा सकता।

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