कैबिनेट- पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी का अब शोधकर्ता और छात्र भी उठा सकेंगे लाभ
नई दिल्ली, 17 अगस्त। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी डेटाबेस (टीकेडीएल) तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। अब पेटेंट कार्यालयों के अलावा शोधकर्ता व अन्य उपयोगकर्ता डेटाबेस का उपयोग कर पायेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समय-समय पर भारत के परंपरागत और प्रचलित ज्ञान पर आधारित पेटेंट हालिस करने के प्रयास किए जाते हैं। इन प्रयासों की रोकथाम के लिए अटलजी की सरकार ने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) को 2001 में स्थापित किया था। इस लाइब्रेरी में 4 लाख 24 हजार भारतीय परंपरागत चिकित्सा ज्ञान से जुड़े मिश्रण और पद्धति को संकलित किया गया था।
उन्होंने कहा कि अब तक इस लाइब्रेरी का उपयोग दुनियाभर में पेटेंट कार्यालय जांच हेतु कर सकते थे। अब इसकी व्यापक पहुंच को सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री लगातार इस बात पर जोर देते है कि भारत की युवा पीढ़ी अपनी विरासत और अनुसंधान क्षेत्र से जुड़े। अब पेटेंट आवेदनकर्ता, नवाचार क्षेत्र से जुड़े लोग और शोधकर्ता इस डेटाबेस को एक्सेस कर सकेंगे। इससे क्षेत्र में काम करने वालों का काम आसान होगा और उनका समय और संसाधन बचेंगे।
ठाकुर ने कहा कि व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने से विविध क्षेत्रों में परंपरागत ज्ञान से जुड़े शोध और नवाचार में वृद्धि होगी। भारतीय पारंपरिक ज्ञान आधारित मेडिसिन को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी। परंपरागत ज्ञान और वर्तमान जारी प्रथाएं आपस में जुड़ेंगी। इस क्षेत्र में उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।