बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा से मैथिली को हटाने के विरोध में एक दिवसीय धरना
सहरसा,24 जनवरी। मैथिली को बिहार सरकार द्वारा बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा से हटाने के विरोध में मंगलवार को विद्यापति चेतना समिति के बैनर तले स्टेडियम प्रांगण में एक दिवसीय धरना आयोजित हुई। अध्यक्षता जिला परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि सुरेंद्र कुमार यादव एवं नेतृत्व जयराम झा ने किया।साथ ही शिष्टमंडल ने डीएम को ज्ञापन सौंपा।
धरना को संबोधित कर पूर्व मंत्री सह विधायक डॉ आलोक रंजन ने कहा कि मैथिली भाषा स्पष्टता अष्टम अनुसूची में सम्मिलित है।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उत्साह पूर्वक यह स्वरूप दिया।मैथिली भाषा के इतिहास में मैथिली प्राचीनतम, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक भाषा तथा मिथिलांचल की आम भाषा है। प्रतियोगिता परीक्षा के संरचना में किये गए संशोधन को निरस्त करने की मांग की।
पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने कहा कि मैथिली को बिहार लोक सेवा आयोग में एक वैकल्पिक विषय के रूप में सम्मिलित किया गया था।जिसे एक सौ अंकों में सीमित कर दिया गया है।जबकि यह तीन सौ अंकों का था।यह भाषा विशेष के प्रति असमानता का भाव है।यह कदम अनुसूचित क्षेत्रीय भाषाओं के साथ विसंगति पूर्ण एवं समुचित नहीं है।संविधान की आठवीं अनुसूची में मैथिली को भी शामिल किया गया है।यह बिहार राज्य की मान्य भाषा है।जबकि संघ लोक सेवा आयोग एवं अन्य प्रदेशों के लोक सेवा आयोग में इस प्रकार का कोई संशोधन नहीं किया गया है।
ऐसे में मात्र बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा की संरचना को संशोधित करना अनुचित, अन्याय पूर्ण एवं संविधान की भावना से परे है। कार्यक्रम में रामचंद्र चौधरी, बिंदेश्वर प्रसाद झा, भोगेंद्र शर्मा, बीरबल मिश्र, रविंद्र चौधरी, जिप सदस्य विनीत कुमार विड्डु, त्रिभुवन प्रसाद सिंह, राजन सिंह, सत्य प्रकाश, संतोष झा, प्रो उदय शंकर मिश्र, प्रो बूढा भाई, डॉ योगानंद झा, डॉ गणेश कांत झा, डॉ बैद्यनाथ चौधरी,धनंजय कुमार खां सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे।