राष्ट्रीय

 पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी ने आठ जनवरी को प्रयागराज के लिए बनाया ऐतिहासिक

प्रयागराज, 08 जनवरी। वरिष्ठ भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी का रविवार को निधन हो गया, लेकिन प्रयागराज के लिए आज का दिन वह ऐतिहासिक बनाकर चले गये। आज के ही दिन आठ जनवरी वर्ष 2003 को उन्होंने प्रयागराज में उत्तर प्रदेश विधान मंडल की बैठक कराकर प्रदेश विधानमंडल की पहली बैठक की याद ताजा कराई थी।

दरअसल प्रयागराज के शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क में स्थित पब्लिक लाइब्रेरी में आठ जनवरी वर्ष 1887 को उप्र विधानमंडल की पहली बैठक हुई थी। पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी जब उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष बने तो उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण को यादगार बनाने की योजना बनाई और प्रयागराज के पब्लिक लाइब्रेरी में विधानमंडल की पहली बैठक की शताब्दी वर्ष मनाने का प्रयास किया।

उनका प्रयास साकार भी हुआ और आठ जनवरी 2003 को शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क स्थित उसी पब्लिक लाइब्रेरी में पूरा सदन जुटा जहां 1887 में प्रदेश विधान मंडल की पहली बैठक आहूत हुई थी। इस बैठक में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती भी उपस्थित थीं और कार्यक्रम का उद्घाटन तत्कालीन राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री ने किया था।

प्रदेश के वर्तमान अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कृषि देवेश चतुर्वेदी उस समय प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) के जिलाधिकारी थे। उनके नेतृत्व में जिला प्रशासन ने शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क को शताब्दी समारोह के अनुरूप सजवाया था और पब्लिक लाइब्रेरी विधानभवन के रूप में सुसज्जित थी।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले विधान परिषद और विधानसभा के सभी सदस्यों को प्रथम विधान मंडल की बैठक से संबंधित पूरा लिटरेचर भी उपलब्ध कराया गया था। उस समय प्रयागराज के प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक नार्दर्न इंडिया पत्रिका ने इस कार्यक्रम को लेकर विशेषांक भी निकाला था, जिनकी प्रतियां सभी विधायकों और कार्यक्रम में भाग लेने वाले अतिथियों को दी गईं थी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1887 में आज के ही दिन आठ जनवरी को प्रयागराज में आहूत उत्तर प्रदेश विधान मंडल की पहली बैठक में कुल नौ सदस्य शामिल हुए थे। इनमें पांच अंग्रेज और चार भारतीय सदस्य थे। अंग्रेज सदस्यों में जे डब्ल्यू क्विंटन, टी कानलन, जे वुडबर्न, एमए मैकांजी और जीई नॉक्स शामिल थे। वहीं भारतीय सदस्यों में अयोध्यानाथ पाठक, राय बहादुर दुर्गा प्रसाद, मौलवी सैयद अहमद खां और राजा प्रताप नारायण सिंह उपस्थित थे।

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