फतेहाबाद: मॉडल संस्कृति स्कूलों में फीस रद्द करवाने को गरजेंगे अभिभावक
फतेहाबाद, 5 जून । सरकारी स्कूलों में किताबों, अध्यापकों की कमी, मॉडल संस्कृति स्कूल में इंग्लिश मीडियम के नाम पर पहली कक्षा से ही फीस लगाने आदि मुद्दों को लेकर एक मीटिंग पुरानी कोर्ट रोड स्थित दीनदयाल पार्क में हुई। बैठक की अध्यक्षता सीनियर सैकेण्डरी स्कूल फतेहाबाद प्रबंधन समिति के प्रधान शिवदयाल ने की व संचालन योगेंद्र भूथन ने किया।
बैठक में अनेक गांवों की स्कूल प्रबंधन समितियों, शिक्षा समितियों, विद्यार्थियों व अभिभावकों के साथ अन्य अनेक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने भाग लिया। मीटिंग के बाद सरकारी स्कूल संघर्ष समिति व अभिभावक मंच का गठन किया गया। अभिभावकों की उपरोक्त मांगों का हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने भी समर्थन करते हुए सहयोग करने की घोषणा की।
मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि सरकारी स्कूलों को सरकार व प्रशासन द्वारा पूर्णतया नजरअंदाज करने के विरोध में 13 जून सोमवार विभिन्न गांवों से पैदल मार्च का आयोजन किया जाएगा। उल्लेखनीय हैं कि स्कूल प्रबंधक समिति व अभिभावक मंच ने 17 मई को ज्ञापन देकर उपरोक्त मांगों बारे उपायुक्त को अवगत कराया था। उन्होंने 15 दिन में हल करने का वायदा किया था, जो अभी तक भी पूरा नहीं हुआ है। इस पैदल मार्च में अलग-अलग गांवों से स्कूल में पढऩे वाले बच्चे, उनके अभिभावक और जागरूक नागरिक साथ चलेंगे। वक्ताओं ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पिछले 2 साल से और इस सत्र के अढ़ाई महीने बीत जाने के बाद भी पहली से आठवीं कक्षा तक किताबें नहीं आई हैं। स्कूलों में अध्यापकों की 40 हजार स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। भिरड़ाना के प्राइमरी स्कूल में 375 बच्चों पर केवल एक अध्यापक है और इसे मॉडल संस्कृति स्कूल का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा सभी स्कूलों में सफाई कर्मचारी, चौकीदार, माली व क्लर्क के पद खाली पड़े हैं। वक्ताओं ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू करते हुए हरियाणा सरकार ने उन्हीं पुराने स्कूलों के मुख्य द्वार पर मॉडल संस्कृति स्कूल लिखकर पहली कक्षा से ही फीस शुरू कर दी है। यह संविधान के आर्टिकल 21ं के तहत 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के मौलिक अधिकार का सीधा सीधा उल्लंघन है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को हर साल मिलने वाले वजीफे व छात्रवृत्तियां भी पिछले 2 साल से बंद पड़ी हैं।