गुरुग्राम: कला की पुजारी हैं इंजीनियरिंग में स्नातक पूजा गोस्वामी
-16 साल तक कॉरपोरेट में कार्य करने के बाद कला के क्षेत्र में उतरीं पूजा
गुरुग्राम। आत्मा से दूर रोजमर्रा की जिंदगी की धूल धोती है, हर एक इंसान में कोई न कोई कला जरूर होती है। कुछ इसी तरह से कला को खुद में समेटे है पूजा गोस्वामी।
उनका मानना है कि जीवन मिला है एक बार, खुले के जी लो इसको। अभी तो बढ़ाया है एक कदम-पूरा जहां अभी बाकी है, अब तो पहचानाना शुरू किया है खुद को-असली उड़ान अभी बाकी है। इंजीनियरिंग में स्नातक पूजा ने जीवन के 16 साल तक कॉरपोरेट जगत में काम किया। बेशक वे इस क्षेत्र रहीं, लेकिन उनका सपना, उनकी सोच में कुछ अलग ही चल रहा था। समय के साथ उन्होंने खुद को कारपोरेट जगत से अलग करके कला के क्षेत्र में सक्रिय किया। भले ही वे कला का पहले क भी न जानती हों, लेकिन करत-करत अभ्यास के जड़मति होते सुजान वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए उन्होंने कला में खुद को निपुण कर लिया। सच्ची लगन और सकारात्मक सोच के साथ वे इस क्षेत्र में कूची और रंगों से कैनवस पर कलाकृतियां उकेरती चली गई। अब तक वे 50 से अधिक कलाकृतियां बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। अलग-अलग शहरों में वे प्रदर्शनी में अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित करती हैं। मुंह बोलती उनकी कलाकृतियों के बहुत लोग कद्रदान हैं। हर जगह उनकी कलाकृतियों को सराहना मिलती है। खुद के कला में निपुण होने के बाद अब पूजा गोस्वामी पेंटिंग की कक्षाएं भी लगाती हैं, ताकि कला को अगली पीढ़ी में भी पैदा किया जा सके। उनका मानना है कि कला हम सबके भीतर है। हमें उसे पहचानना चाहिए। अगर कला को समर्पित नहीं हो सकते को कम से कम उसे जीवन का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। भले ही कला की कोई जुबान नहीं होती, लेकिन वह बहुत कुछ कह देती है।