बिहार

रेलवे स्टेशन परिसर में साझी विरासत पर नुक्कड़ नाटक एवं जनगीत की हुई प्रस्तुति

भागलपुर, 20 नवम्बर गरीब की भूख मिटाने में साझी विरासत से उपजी अध्यात्मिकता काम आ सकती है, धर्मांधता नहीं। इस उद्बोधन के साथ रविवार पूर्वान्ह भागलपुर रेलवे स्टेशन के प्रांगण में एक नुक्कड़ सभा हुई। जिसमें देश के विभिन्न संगठनों से आए शांतिकारियों द्वारा नुक्कड़ नाटक और सांस्कृतिक जन गीत प्रस्तुत किए गए।

प्रेरणा कला मंच वाराणसी के कलाकारों ने भूख बनाम धर्म नामक नुक्कड़ नाटक को अभिनीत करके रेलवे परिसर में आए यात्रियों और शहर के नागरिक समाज को प्रेम, भाईचारा और विविधता में एकता का मजबूत संदेश दिया। चुनाव पूर्व वोटों की फसल काटने के लिए राजनीतिक नेता जिस तरह लोगों को रोटी के नाम पर खेल कराकर और धर्म के नाम पर आपस में एक दूसरे के खिलाफ लड़ाने का कुत्सित कार्य करते हैं। इसे नाटक में दर्शाया गया। जिस तरह सूरज धर्म, संप्रदाय, जाति, भाषा, अमीरी, गरीबी आदि का भेदभाव किए बिना सबों पर अपनी रोशनी को बिखेरता है। उसी तरह हम इंसानों को भी सबकी प्रगति और समृद्धि को मन में रखकर बंधुत्व की भावना बढ़ने की जरूरत है।

इस संदेश के साथ नुक्कड़ नाटक संपन्न हुआ। भागलपुर की परिधि के विनय, राहुल, सुषमा, कृतिका, लाडली और अन्य कलाकारों ने जनगीत गाए। रांची के आखर संस्थान के प्रवीर पीटर, प्रियाशील बेसरा और विनय ने प्रेरणा कला मंच के कलाकारों के साथ मिलकर गांव छोड़ब नहीं, जंगल छोड़ब नहीं, माय माटी छोड़ब नहीं, लड़ाई छोड़ब नहीं गीत गाकर जल, जंगल, ज़मीन के लिए जन आंदोलनों की आवाज बुलंद की। परिधि के उदय ने कार्यक्रम का संचालन किया और कार्यक्रम के दौरान मुंबई सीएसएसएस के डॉक्टर इरफान इंजीनियर, संध्या, मिथिला, कोलकाता से शुभ प्रोतीम, प्रेरणा कला मंच के निदेशक के फादर आनंद आदि उपस्थित थे।

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