राष्ट्रीय

राष्ट्रपति ने खूंटी के उलिहातू में किया बिरसा मुंडा को नमन

पहली बार भगवान बिरसा के गांव उलिहातू पहुंचीं राष्ट्रपति

रांची, 15 नवंबर। धरती आबा और उलगुलान के नायक भगवान बिरसा मुंडा की 147वीं जयंती और दूसरे जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू पहली बार मंगलवार को रांची पहुंचीं। यहां से राष्ट्रपति भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली खूंटी जिला स्थित उलिहातू पहुंचीं। राष्ट्रपति मुर्मू ने ओडा में बिरसा मुंडा की प्रतिमा को नमन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने बिरसा मुंडा के वंशजों से भी मुलाकात की, उनसे स्थानीय भाषा में बातें की।

भगवान बिरसा के वंशज आज भी कच्चे मकानों में रहने को मजबूर हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से पक्के मकान बनवाने की गुहार लगाई है। रांची से हेलीकॉप्टर से राष्ट्रपति खूंटी के उलिहातू पहुंची थीं। उनके साथ राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी थे। सभी ने बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति का कार्यक्रम यहां आधे घंटे का था। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मध्य प्रदेश रवाना हो गईं।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी और झारखंड की महिला, बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री जोबा मांझी ने उलीहातू में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।

इससे पहले झारखंड पहुंचने के बाद रांची एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने स्वागत किया। झारखंड के लिए आज का दिन बेहद खास है। झारखंड ने अलग राज्य के लिए आज की तारीख चुनी थी। 15 नवंबर साल 2000 को झारखंड अलग हुआ। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के साथ राज्य स्थापना दिवस का जश्न भी मनाया रहा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के झारखंड दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। उलिहातू में कार्यक्रम की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों को सुरक्षा की दृष्टि से कार्यक्रम स्थल से 12 किमी पहले ही रोक दिया गया। राष्ट्रपति के कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों को विशेष पास दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू पहली बार झारखंड आईं हैं। राज्यपाल के तौर पर उनका इस राज्य से गहरा रिश्ता रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस राज्य की पहली महिला राज्यपाल होने का गौरव प्राप्त है। द्रौपदी मुर्मू का झारखंड में छह साल एक माह अठारह दिनों का कार्यकाल रहा। वे इस दाैरान विवादों से बेहद दूर रहीं। बतौर कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल में झारखंड के विश्वविद्यालयों के लिए चांसलर पोर्टल शुरू कराया। विश्वविद्यालयों के कॉलेजों के लिए एक साथ छात्रों का ऑनलाइन नामांकन शुरू कराया। विश्वविद्यालयों में यह नया और पहला प्रयास था। राज्य राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ऐसे कई बेहतरीन फैसले दर्ज हैं।

उल्लेखनीय है कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 के दशक में छोटे किसान के गरीब परिवार में हुआ था। बिरसा 19वीं सदी के प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्व में मुंडा आदिवासियों ने उलगुलान आंदोलन को अंजाम दिया। बिरसा को मुंडा समाज के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। बिरसा ने 9 जून, 1900 को रांची कारागार में अंतिम सांस ली।

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