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राष्ट्रपति ने “भारतीय संस्कृति में मानवीय जिजीविषा” की प्रथम प्रति प्राप्त की

नई दिल्ली

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने बुधवार को आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध संकलन “भारतीय संस्कृति में मानवीय जिजीविषा” की प्रथम प्रति प्राप्त की।

इस अवसर पर अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में राष्ट्रपति ने कबीर जैसे कवियों के कृतित्व के प्रसार में आचार्य द्विवेदी के योगदान को सराहा। साथ ही उन्होंने जन-संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी के प्रसार पर बल दिया।

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्ष एवं निबंध संकलन की संपादक डॉ अपर्णा द्विवेदी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक सादा समारोह में राष्ट्रपति को “भारतीय संस्कृति में मानवीय जिजीविषा” की प्रथम प्रति भेंट की। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टी नूपुर पाण्डेय, रत्नेश मिश्र और अशोक महेश्वरी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

भारतीय परंपरा में आधुनिकता और आधुनिकता में परंपरा के अप्रतिम द्रष्टा, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भाषा विज्ञान, समालोचना, सांस्कृतिक विमर्श, उपन्यास तथा निबंध के क्षेत्र में नए मार्ग प्रशस्त किए। संत कबीर को महान साहित्यिक कवि के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के सानिध्य में उनके योगदान ने हमारी साहित्यिक विरासत को समृद्ध किया है।

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