उत्तर प्रदेश

 ‘धरोहर’ में दिखे कथक के इंद्रधनुषी रंग

लखनऊ, 13 नवम्बर। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का स्थापना दिवस पर रविवार को कार्यक्रम ‘धरोहर‘ का आयोजन हुआ। अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह कार्यक्रम में कथक केन्द्र की प्रस्तुति आयाम और नेहा सिंह कान्तिका मिश्रा की प्रस्तुति नायिका-द वुमेन विदिन का प्रस्तुतिकरण हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विशेष सचिव, मुख्यमंत्री कुमार हर्ष, विशिष्ट अतिथि ब्रिगेडियर नवदीप सिंह वैज्ञानिक नीरज दुबे, अकादमी सचिव तरूण राज, शैलजा कांत, राजेन्द्र नारायण मिश्र, सौरभ सक्सेना ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

धरोहर स्थापना दिवस समारोह में नायिकाः ‘द वुमेन विदिन‘ में वरिष्ठ कथक नृत्यांगना नेहा सिंह मिश्रा और कांतिका मिश्रा ने प्रसिद्ध कथक नर्तक पं.अनुज मिश्रा की अवधारणा को मंच पर साकार किया। पहली प्रस्तुति शक्ति में मां दुर्गा राग बैरागी भैरव पर आधारित थी।

उसमें मां दुर्गा के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए संदेश दिया गया कि हर स्त्री, शक्ति मां स्वरूपा हैं। दूसरी प्रस्तुति अन्तर्द्वन्द्व में दोनों कलाकारों ने शुद्ध कथक नृत्य को ताल धमार 14 बीट में दर्शाया गया। टाइम साइकिल पर आधारित नृत्य के समकालीन पहलू को इसमें शामिल किया गया था।

स्त्री विमर्श, अराजकता से लेकर मित्रता तक के वृहद समसामयिक विषयों को खूबसूरती के साथ इसमें पिरोया गया था। तीसरी प्रस्तुति मीरा में नेहा सिंह मिश्रा ने मीरा बाई के आध्यात्मिक स्वरूप के साथ भगवान कृष्ण के प्रति उनके समर्पण की ऊंचाइयों को भी दर्शाया। राग भिन्न षड्ज पर आधारित इस नृत्य में पारंपरिक कथक के भाव पक्ष को पेश किया गया। चौथी प्रस्तुति द्रौपदी में कांतिका मिश्रा ने द्रौपदी के क्रोध को नृत्य में कलात्मक रूप में पेश किया। इसमें दर्शाया गया कि द्रौपदी के अपराधी न होने पर भी स्त्रियां उसके पक्ष में नहीं आईं थीं।

अंतिम प्रस्तुति प्रतिबिम्ब में समाज के लिए सुखद संदेश दिया गया कि मौजूदा समय में महिलाएं हर क्षेत्र में यश अर्जित कर रही हैं। वह परस्पर एक दूसरे से प्रेरणा प्राप्त कर आगे बढ़ रही हैं। राग जोग और एक ताल पर आधारित इस रचना में तराने का सुंदर और रचनात्मक प्रयोग भी देखने को मिला। पं.अनुज मिश्रा ने पढंत, विकास मिश्रा ने तबला, नवीन मिश्रा ने सितार, दीपेंद्र लाल कुंवर ने बांसुरी पर संगत दी वहीं प्रकाश परिकल्पना देवाशीष मिश्रा की प्रस्तुति के अनुरूप रही। कला रसिकों ने इस सरस संध्या का आनंद अंत तक लिया।

इससे पहले रजनी वर्मा के निर्देशन में कथक केंद्र की छात्राएं अवंतिका, मनीषि, सिद्धि, तोषिता, आरना, आरज़ू, प्रिषा, वैदांशी, रीति स्नेहा, गौरांगी, सताक्षी, वैभवी, पूजा ने कथक के लखनवी घराने की सशक्त झलक पेश की। दूसरी प्रस्तुति ‘आरोह‘ में कलाकारों ने थाट, उठान, आमद, तिहाई की खूबसूरती को दर्शाया। नीता जोशी के निर्देशन में नृत्यागंनाएं सृष्टि प्रताप, विधि जोशी, अदिति जायसवाल, निहारिका शर्मा, प्रियांशी पाल ने श्रंगार की ठुमरी एवं सूफी रचनाओं के माध्यम से आरोह के स्वरूप को सुंदर रूप में विस्तारित किया। तृतीय कथक प्रस्तुति मेघ रंग अपने नाम के अनुरूप वर्षा ऋतु पर आधारित रही।

मेघ रंग प्रस्तुति में महान कवि नागार्जुन की कविता मेघ बजे और सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’’ की कविता बादल राग को आधार बनाते हुए प्राकृतिक के उल्लास को नृत्य के माध्यम से पेश किया गया। यह रचना लक्ष्मी ताल 18 मात्रा, राग मेघ एवं मिया मल्हार में निबद्ध थी। इसकी संगीत रचना स्वर्गीय रवि नागर ने तैयार की थी। श्रुति शर्मा के निर्देशन में हुई इस प्रस्तुति में प्रियम यादव, शरण्या शुक्ला, गौरी शुक्ला, सानवी सक्सेना, विदुषी शुक्ला, आश्वी जैन, वानी जायसवाल, दीप्ति कुशवाहा, एकता एवं अनिमेष सिंह ने नृत्य किया। कमलाकांत के संगीत निर्देशन में हुई इस प्रस्तुति में विकास मिश्र एवं शहनवाज खान ने तबला, दिनेश प्रसाद ने पखावज, डॉ.नवीन मिश्रा ने सितार, दीपेंद्र कुमार ने बांसुरी वादन किया।

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