उत्तर प्रदेश

 रैपिड रेल प्रोजेक्ट: एनसीआरटीसी ने किया एलटीई नेटवर्क पर ईटीसीएस लेवल दो सिग्नलिंग का सफल परीक्षण

गाजियाबाद,10 अक्टूबर। एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने सोमवार को एलटीई कम्युनिकेशन नेटवर्क पर यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) लेवल दो सिग्नलिंग प्रणाली के साथ आरआरटीएस ट्रेनसेट की डायनेमिक टेस्टिंग की शुरुआत की। सिग्नलिंग प्रणाली की यह टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूर्ण हुई और ईटीसीएस-दो सिग्नलिंग सिस्टम और आरआरटीएस ट्रेनसेट ने तकनीकी अपेक्षाओं के अनुसार एक दूसरे के साथ ऑपरेट किया। यह डायनेमिक टेस्टिंग दुहाई डिपो में ट्रेन टेस्ट ट्रैक पर की गई, जहां एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक सभी निदेशकों एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आरआरटीएस ट्रेनसेट पर सवार थे।

एनसीआरटीसी के प्रवक्ता पुनीत वत्स ने बताया कि ऐसा विश्व में पहली बार है, जब एलटीई कम्युनिकेशन बैकबोन पर स्टैंडर्ड ईटीसीएस सिग्नलिंग प्रणाली कार्य करेगी और यह एनसीआरटीसी द्वारा आरआरटीएस के परिचालन के लिए किया जा रहा है। विश्व स्तर पर, ईटीसीएस टेक्नोलॉजी यूरोप और अन्य देशों में जीएमएस-आर कम्युनिकेशन नेटवर्क पर व्यापक रूप से कार्य कर रही है। हालांकि, निकट भविष्य में अन्य आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से जीएसएम-आर तकनीक अप्रचलित हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि एलटीई एक अधिक क्षमता का कम्युनिकेशन लिंक प्रदान करता है जिसका उपयोग ट्रेन और ट्रैकसाइड तथा ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर के बीच मिशन-क्रिटिकल डेटा, वॉयस, आईओटी, महत्वपूर्ण वीडियो और अन्य महत्वपूर्ण संदेशों के आदान-प्रदान के लिए किया जाएगा। दूरसंचार विभाग, भारत सरकार ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस के प्राॅयोरिटी सेक्शन के लिए एलटीई नेटवर्क को चालू करने के लिए फिलहाल 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक अस्थायी स्पेक्ट्रम आवंटित किया है। 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्थायी रूप से स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा ट्राई को एक संदर्भ दिया गया है, जिसे ट्राई द्वारा जल्द ही मंज़ूर कर लिए जाने की उम्मीद है।

वत्स ने कहा कि यात्री सुविधा एनसीआरटीसी के लिए सबसे अहम है। इसे ध्यान में रखते हुए एनसीआरटीसी ने फेज़-एक के सभी तीन प्राॅयोरिटी कॉरिडोर के बीच इंटरऑपरेबिलिटी के लिए रणनीतिक रूप से योजना बनाई है और इसे संभव करने के लिए ईटीसीएस स्तर दो सिग्नलिंग तकनीक को अपनाना महत्वपूर्ण था। ईटीसीएस लेवल-दो सिग्नलिंग वेंडर एग्नॉस्टिक है और भविष्य में निर्मित होने वाले कॉरिडोर के विस्तार के लिए किसी भी वेंडर की सेवाएं लेना संभव बनाता है। यह तकनीक, जो आरआरटीएस की 180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति के लिए उपयुक्त है, आरआरटीएस ट्रेनों की एक कॉरिडोर से दूसरे कॉरिडोर में निर्बाध रूप से यात्रा सुनिश्चित करेगा। यह यात्रियों की ट्रेन बदलने की परेशानी से रहित, आरामदायक यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे यात्रियों द्वारा सार्वजनिक परिवहन को अधिक से अधिक अपनाने की कोशिश को बढ़ावा मिलेगा।

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