फिम्स मै हुआ पेट के कैंसर का विश्वसनीय ईलाज।
सोनीपत पेट दर्द के सिर्फ उतने ही कारण नहीं होते,जितने सब जानते है। न ही उसके ईलाज बस उतने ,जो सब ने सुने है।
75 वर्षीय रामकरण,पेट दर्द से लम्बे समय से ग्रहस्त थे। कई जगह इलाज कराने के बाद भी आराम नहीं पड़ा। तब वह फिम्स अस्पताल आये व उनकी जाँच व् इलाज शुरू किया गया ,उनकी एंडोस्कोपी ,CT व USG करके पता चला की उन्हें पित्त की थैली का कैंसर हैं। तथा कैंसर ने फैलकर पित्त की नलियों मै काफी रूकावट कर दी थी जिसके कारण मरीज का पीलिया भी काफी बहुत बढ़ चुका था जोकि जानलेवा होता जा रहा था।
मरीज के आगे के ईलाज के लिए एक टीम गठित की गई और सर्जरी करके कैंसर को निकालने पर विचार किया गया। परन्तु मरीज दिल की बीमारी से भी लम्बे समय से झूज रहा था जिसके लिए उनके दिल मैं छल्ला भी डाला जा चूका था। ऐसे मै सर्जरी करना खतरे से खाली नहीं था। व सर्जरी को टाल दिया गया।
परन्तु मरीज का पीलिया बढ़ता ही जा रहा था व दिमाग पर असर करने लगा था।
मरीज के पास ज्यादा समय नहीं था।
फिर मेडिकल टीम जिसमे गैस्ट्रो ,जनरल सर्जन ,कैंसर सर्जन व इंटरवेशन के डॉक्टर शामिल थे ,सबने इलाज के और विकल्प ढूँढे। डॉ आशीष जो एम्स से इंटरवेशन पढ़े हुए डॉक्टर है। उन्होंने एक विकल्प सूझया की मरीज की जांघ मैं छोटा सा छेद करके कैथिटर से बंद नली तक पहुंच कर एक स्टैंट लगा दे ताकि नली की रूकावट खुल जाए और पीलिया कम हो जाऐ व मरीज की जान बचायी जाऐ। टीम ने इस सुझाव को मंजूर किया कयुँकि यह सर्जरी बिना चीरा लगाए इंटरवेशन से करनी थी जिसमे न्यूनतम जोखिम था व् सफलता की सम्भावना ज्यादा थी। सर्जरी की तैयारी की गई। मुंबई से एक खास कैथिटर व स्टैंट मंगवाया गया और मरीज की सर्जरी की गई। सर्जरी करीब 2 घंटे चली व् सर्जरी सफल रही और मरीज का पीलिया कम होने लगा।
यह सर्जरी बहुत ही खास ,अनोखी व जटिल थी जो हमारे देश के कुछ गिने चुने अस्पतालो मै ही होती है।
फिम्स पहले भी स्वास्थय सेवा क्षेत्र मै कई मील के पत्थर स्थापित का चूका है।
अस्पताल के MD रजत जैन ने कहा की हम विश्व स्तरीय स्वास्थय सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है व् निरंतर महेनत करते रहेंगे।
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