राजस्थान

जोधपुर में राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल इंस्टीट्यूट के लिए 672.5 करोड़ रुपये की मंजूरी

जयपु। जोधपुर में राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल इंस्टीट्यूट के लिए 672.5 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। यह मंजूरी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई फिनटेक डिजिटल विश्वविद्यालय जोधपुर की समीक्षा बैठक में दी गई। यह संस्थान जोधपुर में 66 बीघा भूमि में स्थापित किया जाएगा। वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा में 400 करोड़ रुपये फिनटेक डिजिटल इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए आवंटित किये गये थे।

इस संस्थान को स्टेट ऑफ द आर्ट के रूप में विकसित किया जायेगा। संस्थान का परिसर शून्य अपशिष्ट, शून्य बिजली और शून्य पानी के साथ नेट जीरो कैंपस होगा। यह भवन पर्यावरण हितैषी भवन होगा। राजस्थान में अपनी तरह का यह पहला निर्माण होगा। प्रारंभ में संस्थान के लिए एक हजार 400 छात्रों की क्षमता की सोच रखी गई थी। अब यूजी, पीजी और पीएचडी कार्यक्रमों की संख्या को देखते हुए छात्रों की संख्या को चार हजार तक संशोधित किया गया है। छात्रों के लाभ और आगामी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज के लिए राजस्थान में आईटी वातावरण बनाने के लिए सुविधाओं को तदनुसार संशोधित किया गया है।

राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल इंस्टीट्यूट के तहत चार स्कूल प्रस्तावित हैं। इसमें स्कूल ऑफ फाइनेंशियल इन्फॉर्मेशन सिस्टम, स्कूल ऑफ फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी, इंस्ट्रूमेंट्स एंड मार्केट्स, स्कूल ऑफ फाइनेंशियल सिस्टम्स एंड एनालिटिक्स और स्कूल ऑफ फिनटेक इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप हैं। संस्थान में स्मार्ट क्लासरूम, ट्यूटोरियल रूम, लेक्चर थिएटर, फ्लिप क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, कंप्यूटर सेंटर, सेंट्रल लाइब्रेरी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, सेमिनार हॉल बोर्ड रूम, छात्रों के लिए ऑडिटोरियम, खेल सुविधाएं आदि होंगी। संस्थान में गेस्ट हाउस, एकेडमिक ब्लॉक, कार्यशालाएं, छात्रावास, फैकल्टी ब्लॉक, गैर-शिक्षण ब्लॉक, डीन और निदेशक निवास सहित 11 लाख 55 हजार वर्ग फुट में निर्माण होगा। इसमें शिक्षण, अनुसंधान और विकास के लिए अत्याधुनिक आईटी सुविधाएं होंगी।

समीक्षा बैठक में विभिन्न प्रखंडों की योजनाओं एवं उन्नयन की स्वीकृति भी प्रदान की गई। संस्थान का निर्माण दो साल में पूरा किया जाएगा। यह सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग द्वारा कार्य लिया जाएगा। समीक्षा बैठक में प्रमुख शासन सचिव वित्त, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, आयुक्त सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग और अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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