उत्तर प्रदेश

बुन्देलखण्ड राज्य आन्दोलन को गांव-गांव ले जायेंगें : सत्येन्द्र पाल सिंह

– राज्य निर्माण की मांग को लेकर अंतिम सांस तक प्रयास किया जायेगा

झांसी, 01 सितम्बर। बुन्देलखण्ड क्रान्ति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुं सत्येन्द्र पाल सिंह की अध्यक्षता में कार्यकर्ताओं ने पृथक बुन्देलखण्ड राज्य आन्दोलन के अर्न्तगत गांधी पार्क में धरना दिया। धरना स्थल पर सभा की गई। सभा के उपरान्त कार्यकर्ता जुलूस निकाल कर कलेक्ट्रेट और अपर जिलाधिकारी को प्रधानमंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन सौंप कर पुनः पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण की मांग की।

राष्ट्रीय अध्यक्ष कुं सत्येन्द्र पाल सिंह ने एलान किया कि पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण का आन्दोलन अब गांव-गांव में ले जाया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस बुन्देलखण्ड राज्य की स्थापना 12 मार्च 1948 को हुई थी केन्द्र सरकार ने उस पृथक बुन्देलखण्ड राज्य को 01 नवम्बर 1956 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू ने समाप्त कर दिया था। उप्र व मप्र सरकारों की उपेक्षा के कारण ही बुन्देलखण्ड में गरीबी है। बुन्देलखण्ड के नौजवानों को नौकरी नहीं मिल पा रही है। बुन्देलखण्ड में रोजगार के साधन नहीं है, खेती के लिये पानी नहीं है।

प्रधानमंत्री से मांग करते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड वासियों की पीड़ा को समझिये और बुन्देलखण्ड राज्य की बहाली करियेे। जब बुन्देलखण्ड राज्य पुनः अलग बनेगा तभी राज्य का विकास हो सकेगा। प्रदेश अध्यक्ष मो. नईम मंसूरी, युवा मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर शरद प्रताप सिंह, युवा क्रान्ति दल के प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द्र सिसोदिया, राष्ट्रीय महासचिव ऊषा सिंह, संगठन महासचिव, हरिनारायण श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष बाबू सिंह यादव, महानगर अध्यक्ष राज सिंह शेखावत आदि ने बताया कि पूरे देश में बुन्देलखण्ड क्षेत्र सर्वाधिक पिछड़ा हुआ है। बुन्देलखण्ड के सारे किसान, मजदूर, व्यापारी, नौजवान व छात्र परेशान है। अभी बुन्देलखण्ड में रहने वाले किसी भी नौजवान, मजदूर, शिक्षित युवा, अशिक्षित युवा के लिये कोई भी रोजगार की सम्भावनाएं बुन्देलखण्ड में नहीं हैं। सभी ने कहा कि बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण की मांग को लेकर अंतिम सांस तक प्रयास किया जायेगा।

इस दौरान आरिफ कमाल, देवेन्द्र अहिरवार, अज्जूखान, अमर सिंह, शकील अहमद, दीपक दीक्षित, दीपक परिहार, बृजेन्द्र चौधरी, देवेन्द्र सिंह सेंगर, विनोद वर्मा, अनवार अहमद मंसूरी, अफसर अली, जुबेर खान, महेन्द्र चौधरी, भगवान दास, राम प्रसाद वंसकार, मजहर अली, उमाकान्त अवस्थी, रामदेई, मुन्नी अहिरवार, राम प्यारी, जानकी, हेमलता, प्रेमवती, सावित्री देवी आदि उपस्थित रहे।

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