हरियाणा

प्रकृति का संरक्षण करके अपना अस्तित्व बचाए इंसान: नवीन गोयल

-हर रोज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मानकर करना होगा काम

सिद्धार्थ राव, गुरुग्राम। आज प्रकृति में इंसान का हस्तक्षेप इतना बढ़ गया है कि उसे खुद को बचाने के लिए पृथ्वी को बचाने के उपाय करने पड़ रहे हैं। खुद पर संकट है, लेकिन फिर भी ऐसे इंसानों की संख्या बहुत कम है जो प्रकृति को बचाने के लिए आगे आ रहे हैं। अब हमें सोचना नहीं, बल्कि पृथ्वी के लिए काम करना है। प्रकृति के साथ अपना संरक्षण हमारे अपने हाथों में हैं। यह कहना है पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा प्रमुख नवीन गोयल का।
यह बात उन्होंने गुरुवार को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में न्यू कॉलोनी में गीता भवन प्रांगण में स्थित एसडी मॉडर्न पब्लिक स्कूल में कही। इस दौरान बच्चों को पौधे भी वितरित किए गए। इस अवसर पर प्रधान यूबी ग्रोवर, मोनीष खुल्लर प्रबंधक, जयदेव गुप्ता कैशियर, एचएल मिगलानी मेंबर कमेटी, केएल जुनेजा मेंबर कमेटी, संतोष ठाकुर, रवि शर्मा प्रिंसिपल व स्कूल का समस्त स्टाफ  उपस्थित रहा।
नवीन गोयल ने अपने संदेश में कहा कि सिर्फ पौधा लेना या लगाना मात्र ही काफी नहीं, हमें पौधे का पालन-पोषण भी करना पड़ेगा। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त गुरुग्राम अभियान के तहत उन्हें कपड़े के थैले वितरित किए और पॉलीथिन का इस्तेमाल ना स्वयं करने और ना ही परिवार के किसी अन्य सदस्य को करने देने का संकल्प दिलवाया। नवीन गोयल ने कहा कि आज मानव के कार्य कई तरह के संकट पैदा कर रहे है। कंक्रीट के जंगल बनाने के लिए हरे जंगल खत्म किए जा रहे हैं। वहां से जानवरों के आवास भी खत्म हो रहे हैं। इसके साथ ही उद्योग और वाहनों का धुआं भी प्रकृति तापमान बढ़ा रहा है। ऐसी स्थिति में अधिकतर जीवों का जीवन खतरे में पड़ गया है। कई प्रजातियां तो इंसान ने शिकार करके ही खत्म होने के करीब पहुंचा दी हैं। बहुत से जीवों को अब हम किताबों में तस्वीरों के माध्यम से ही देख सकते हैं। हमारी गतिविधियों ने प्रकृति पर ऐसा असर डाला है कि अब जलवायु और मौसम इंसान के साथ अन्य जीवों के लिए भी मुसीबत बनते जा रहे हैं। अब हमें प्रकृति सुधार के लिए गंभीरता से काम करना होगा। नवीन गोयल ने आगे कहा कि कई तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं। जिनकी वजह से इंसानों पर भी कई तरह के संकट आ रहे हैं। इन खतरों ने हमें चेता दिया है कि अगर अभी से ही प्रकृति का संरक्षण नहीं किया गया तो हमारा खुद का अस्तित्व ही मिट जाएगा।

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