राष्ट्रीय

एसवीएल प्रोजेक्ट का दूसरा सर्वे वेसल ‘निर्देशक’ बंगाल की खाड़ी में उतारा गया

– जीआरएसई के सहयोग से लार्सन एंड टुब्रो ने किया है पोत का निर्माण

– जहाज का नामकरण भारतीय नौसेना के पुराने सर्वे वेसल पर किया गया

नई दिल्ली, 26 मई भारतीय नौसेना के लिए एसवीएल प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे चार सर्वे वेसल (बड़े) में से दूसरा ‘निर्देशक’ गुरुवार को चेन्नई के कट्टुपल्ली में लॉन्च किया गया। पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल बिस्वजीत दास गुप्ता ने एक समारोह में जहाज को बंगाल की खाड़ी के पानी में उतारा। इन जहाजों का निर्माण जीआरएसई के सहयोग से लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के कट्टुपल्ली कारखाने में किया जा रहा है।

नौसेना समुद्री परंपरा को ध्यान में रखते हुए वाइस एडमिरल की पत्नी सरबानी दासगुप्ता ने इस अवसर पर अथर्ववेद से मंत्र का जाप किया। ‘निर्देशक’ जहाज का नामकरण नौसेना के पुराने सर्वे वेसल पर किया गया है, जिसे दिसंबर, 2014 में 32 साल की शानदार सेवा के बाद हटा दिया गया था। एसवीएल के चार जहाजों में से तीन का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) के सहयोग से लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के कट्टुपल्ली कारखाने में किया जा रहा है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी का यह मॉडल भारत में युद्धपोत निर्माण के लिए भविष्य में सफल सहयोग का अग्रदूत होगा।

रक्षा मंत्रालय और जीआरएसई, कोलकाता के बीच एसवीएल प्रोजेक्ट पर 30 अक्टूबर, 18 को हस्ताक्षर किए गए थे। इस प्रोजेक्ट के तहत चार एसवीएल जहाजों का निर्माण किया जाना था। प्रोजेक्ट का पहला जहाज ‘संध्याक’ 05 दिसंबर, 21 को कोलकाता में लॉन्च किया गया था। यह एसवीएल जहाज समुद्र संबंधी डेटा एकत्र करने के लिए मौजूदा संध्याक श्रेणी के सर्वेक्षण जहाजों को नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से बदल देंगे। सर्वेक्षण पोत (बड़े) जहाजों में लगभग 3400 टन वजन और 235 कर्मियों को ले जाने की क्षमता है। जहाज को 14 समुद्री मील की क्रूज गति और 18 समुद्री मील की अधिकतम गति पर संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन जहाजों का पतवार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने स्वदेशी रूप से डीएमआर 249-ए स्टील से बनाया है।

नौसेना प्रवक्ता के अनुसार चार सर्वेक्षण मोटर नौकाओं और एक अभिन्न हेलीकॉप्टर को ले जाने की क्षमता के साथ जहाजों की प्राथमिक भूमिका बंदरगाहों और नौवहन चैनलों के पूर्ण पैमाने पर तटीय और गहरे पानी के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की होगी। रक्षा के साथ-साथ समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय डेटा एकत्र करने के लिए जहाजों को भी तैनात किया जाएगा। आपात स्थिति के दौरान यह पोत जहाज अस्पताल की भी भूमिका निभाएंगे। जनवरी, 2023 तक एसवीएल का पहला जहाज ‘संध्याक’ नौसेना को मिल जायेगा। इसी तरह आज लॉन्च किये गए दूसरे जहाज की डिलीवरी अप्रैल, 2023 तक होने की संभावना है।

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