श्रीकृष्ण संघर्ष, शौर्य, विज्ञान एवं ब्रह्मविद्या का भंडार : डॉ. मोक्षराज
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर तीन दिवसीय वर्तमान संदर्भ में नीतिज्ञ श्रीकृष्ण’ विषय विचार गोष्ठी आयोजित
झांसी, 22 अगस्त। जन्म से पहले, जन्म के बाद, शैशव तथा बाल्यावस्था से ही प्राप्त जानलेवा प्रतिकूलताओं में जीते हुए भी सदैव प्रसन्न रहने व सबको आनंदित रखने वाले हृषिकेश श्रीकृष्ण विश्ववंद्य हैं। वे संघर्ष, शौर्य, विज्ञान एवं ब्रह्मविद्या के भंडार थे।
उक्त विचार अमेरिका स्थित भारतीय राजदूतावास वाशिंगटन डीसी में प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं भारतीय संस्कृति शिक्षक रहे डॉ. मोक्षराज ने सोमवार को एक ऑनलाइन विचार गोष्ठी में व्यक्त किए। ‘वर्तमान संदर्भ में नीतिज्ञ श्रीकृष्ण’ विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी का आयोजन आर्य समाज, ललितपुर द्वारा किया गया।
उन्होंने कहा कि महाभारत में वर्णित राजसूय यज्ञ प्रकरण में उनका परिचय देते हुए पितामह भीष्म ने कहा कि श्रीकृष्ण वेद- वेदांग, विज्ञान व बल में अतुलनीय हैं । इसी प्रकार महर्षि दयानंद सरस्वती महाराज ने अपने अमर ग्रंथ सत्यार्थप्रकाश में योगेश्वर श्रीकृष्ण के चरित्र को आप्त विद्वान एवं ऋषियों के तुल्य पवित्र बताया है। वे कहते हैं कि महाभारत काल में श्रीकृष्ण जैसा कोई नहीं था।
डॉ. मोक्षराज ने कहा कि जो लोग आर्यावर्त के इस महान चरित्र को कलंकित करते हैं, वे महापापी हैं । हम सभी भारतीयों को योगेश्वर श्रीकृष्ण के पराक्रम व धर्मरक्षा के संकल्प से सीख लेनी चाहिए ।
परिचर्चा के संयोजक लखन लाल आर्य ने बताया कि इस विचार गोष्ठी में हरियाणा, राजस्थान पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा बिहार से 65 प्रतिभागियों ने भाग लिया।