फ्लैट के पास गिरा बम, शीशे टूटे, फिर सुरक्षित जगह की तरफ दौडे
और आज पहुंच गए काफी तकलीफों से गुजरते हुए अपने घर
— गन्नौर की स्वाति युक्रेन हादसे के बाद घर सुरक्षित पहुंची, बताया कि बार्डर तक लौटने में आई दिक्कत, काफी तकलीफ में बीते दिन
गन्नौर के रमेश की बेटी स्वाति को दिल्ली लेने पहुंची उसकी मां, गले लगकर बेटी का हाल पूछते हुए।
गन्नौर। यूक्रेन में रूस के हमले के बाद वहां के हालात खराब है। जिनके बच्चे वहां फंसे हुए है। उनके परिजन परेशान है। गन्नौर की स्वाति वीरवार दोपहर अपने घर सुरक्षित पहुंच गई। उनके परिजन कई दिन से बेटी के लौटने का इंतजार कर रहे थे। पिता रमेश व मां ने बेटी को आते ही गले लगाया और बेटी का हाल पूछा। स्वाति युक्रेन में वी एन करजिन नेशनल विश्वविद्यालय में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। वह चौथा साल पढ़ाई का पूरा कर चुकी है। स्वाति ने बताया कि उन्हें रास्ते में बहुत दिक्कत आई लेकिन किसी ने उन्हें नही रोका। यूक्रेन की हकीकत बेटी के मुंह से पता लगने पर परिवार के लोगों की रुह कांप गई
फ्लैट के पास हुए ब्लास्ट के बाद शीशे टूटने के बाद बढ़ा साहस, निकल पड़ी घर के लिए
– स्वाति ने बताया कि जब सुबह 24 फरवरी को उनके फ्लैट के पास तेज ब्लास्ट हुआ और उनके फ्लैट के शीशे टूट गए। धमाके की आवाज सुनकर रहा नही गया और सोचा कि बिल्डिंग में रहे तो बम गिर गया तो उनकी यही मौत हो सकती है। इससे बेहतर है कि फ्लैट से निकलकर सुरक्षित स्थान पर जाया जाए और उनकी जान बच सके। फ्लैट व आसपास खाने के लिए बिस्कुट व चिप्स जो एकत्रित हुई उसे लेकर मैट्रों स्टेशन की तरफ चल पड़े। 24 फरवरी से एक मार्च तक कभी भूखे रहकर गुजारा किया। उस दौरान इंडियन अम्बेंसी की तरफ से उनकी कोई मदद नही हुई।
खारकी से बार्डर तक ट्रैन में 24 घंटे खड़े होकर गुजारे, तीन किलोंमीटर चले पैदल
– स्वाति ने बताया कि खारकी से बार्डर तक 23 घंटे ट्रैन में खड़े होकर गुजारे। उसके बाद वीज से पौलेड तक मिनी बस पकड़ी। बस ने बम के डर से 3 किलो मीटर पहले उतार दिया। तीन किलोंमीटर पैदल चले। खारकी में उनकी कोई मदद नही हुई। हा जब बार्डर पर पहुंच गए तो इंडियन अबेंसी की तरफ से उन्हें आते ही फ्लाईट मिल गई।